हास्य व्यंग्य

बीस हजारी कोट

“तुमने मेरी अलमारी में अपना कोट क्यों टांगा?” थानेदार चाचा चिल्लाए 

“तुम्हारी अलमारी में जगह थी और कहीं जगह नहीं थी तो टांग दिया इतना चिल्ला क्यों रहे हो.?” वकीलनी चाची ने भी सुर खींचा

“मेरी अलमारी में जगह है तो कुछ भी कचरा पट्टी लाकर पटक दोगी !! ये मेरी अलमारी है कबाड़खाना नहीं हटाओ इसे यहां से.”थानेदार चाचा ने थानेदारी दिखाई 

“मेरा कोट तुम्हें कचरा नजर आता है ? मेरी पहचान तुम्हें कबाड़ दिखाई दे रही है ? एक कोट क्या टांग दिया आसमान सर पर उठा लिया नहीं हटाती जाओ क्या कर लोगे ?”वकीलनी चाची ने वकीली तेवर दिखाए 

“देखो मैं कह रहा हूं चुपचाप हटा दो इसे यहां से वरना निकाल कर बाहर फेंक दूंगा..” थानेदारी अंदाज में चाचा गुर्राय 

अच्छा ! तुम्हारा राज है या तुम्हारी अम्मा का जरा फेंक कर तो दिखाओ.. मैं भी देखूं तुम्हारा दम..”

चाची फुफकारी

“अच्छा, यह बात है लो देखो..” चाचा ने कोट निकाल कर फर्श पर फेंक दिया चाची का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा ,”‘मेरा बीस हजार का कोट तुमने इस तरह फेंक दिया तुम्हारे बाप दादों ने भी नहीं देखा होगा बीस हजार का कोट.. तुम्हारी अलमारी जितनी महंगी नहीं ना उससे ज्यादा महंगा मेरा कोट है हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मेरा कोट फेंकने की..” और बदले में चाची ने चाचा के सारे कपड़े मसोसकर फेंकने शुरू कर दिए..चाचा ने हाथ पकड़ा तो चाची चिल्लाने लगी..पूरा घर इकट्ठा हो गया..दादी ने चाची की हरकतें देखी तो शुरू हो गईं , ” हम तो पहले ही कह रहे थे ये वकीलनी ही से ब्याह मत करो जब तब काले कोट की धौंस दिखाएगी पर कोई हमारी एकहूं सुनी अब देखो,”” फिर बेटे की तरफ घूमी, “तू यह थानेदार की वर्दी हम पर ही रोब डालने को पहरी है जे हाथ चला रही तो तू काहे नहीं डंडा चलाता..”

चाचा को वहां डंडा तो मिला नहीं चाचा ने हाथ पकड़ कर चाची को घुमाया और तड़ से एक चांटा चाची के जड़ दिया… चिल्ला चिल्ला कर चाची ने आसमान सर पर उठा लिया “यहां अपने वालों से मिलकर मेरी दुर्गत कराने पर तुले हो ठहरो बताती हूं तुम्हें मुझसे पंगा लेने का अंजाम क्या होगा..” चाची ने बाहर निकल कर दूसरे कमरे में जाकर भड़ाक से दरवाजा बंद किया और अपने मायके फोन लगाया, “भैया ऊं ऊं ऊं ऊं ये तुम्हारा जीजा मुझसे मारपीट कर रहा है और उसके घर वाले उसका साथ दे रहे हैं तुम तुरंत चले आओ भैया ऊं ऊं ऊं..”

“क्या? मारपीट कर रहा है हमारी बहन से ! तुम रोओ मत जिज्जी हम अभी आते हैं..”

आधे घंटे के भीतर वकीलनी चाची के सगे के साथ चचेरे फुफेरे ममेरे भाई ,उनके दोस्त ,मम्मी पापा बुआ फूफा, बहनें, जीजा, चाचा चाची सब आ गए ..आते ही उन्होंने थानेदार चाचा और उनके घर वालों पर चढ़ाई कर दी.. उनके भाई ने चाचा की वर्दी खींची, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन पर हाथ उठाने की, कानून पर हाथ उठाने की साले ऐसी ऐसी धाराएं लगाएंगे ना कि थानेदारी भूल जाओगे..”

थानेदार चाचा ने भी वर्दी छुड़ा उन्हें हाथ से धक्का दिया, “हमारे सामने ज्यादा कानून झाड़ने की जरूरत नहीं है, कानून हम भी जानते हैं.. पुलिस वाले पर हाथ उठाने के जुर्म में तुम्हें अभी यूं अंदर करवा देंगे यूं..……” चाचा ने चुटकी बजाई चाची के घर वाले धन धन आते हुए अंदर घुस आए और दनादन मारने लगे, “अच्छा किस किसको अंदर करवाओगे .लो हमने भी मारा तुम्हें ..हमने भी ..और हमने भी..”

चाचा के साथ सभी घरवाले बचते बचाते बाहर निकले और बाहर खड़ी चाची को घेर लिया, “लो तुम्हारे कानून की तो हम धज्जियां उड़ाते हैं बताओ क्या करोगे लो और लो ….” उन्होंने चाची को मारना शुरू कर दिया चाची ने बचाव की कोशिश की पर सफल नहीं हुई.. चाची के घर वालों ने आकर उन्हें बचाया और चाचा के साथ सभी घर वालों को घेर घार कर वापस कमरे में ले गए.. मारपीट के साथ सब ने चाची के परिवार वालों को धकेलना शुरू किया.. उन्हें बाहर निकाल दरवाजा बंद कर लिया.. चाची के घर वाले चिल्लाने लगे ,दरवाजा पीटने लगे ..मैं वीडियो बना रहा था तो मुझे धमकाने लगे, “वीडियो बनाना बंद कर ओ पिल्ले,  देख कह रहा हूं फोन बंद कर नहीं तो फोन के साथ तुझे भी तोड़ दूंगा,”” मैंने डर कर फोन छुपा लिया.. चाची ने महिला मुक्ति मोर्चा को भी फोन कर दिया वह भी आकर नारे लगाने लगी ,””नहीं चलेगी नहीं चलेगी दादागिरी नहीं चलेगी” “अबला नहीं हम हैं सबल ,छेड़ा तो खोपड़ी का बजा देंगे तबला..’ ‘नारी पर अत्याचार बंद करो बंद करो..’ 

अब मामला कोर्ट में पहुंच गया.. दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप होने लगा थानेदार चाचा बोले इन्होंने पुलिस पर हाथ उठाया इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए,”

वकीलनी चाची बोली, ” इन्होंने कानून की धज्जियां बिखेरी कोर्ट की अवमानना कि इन्हें सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए..”

थानेदार चाचा मिमियाए, “मी लॉर्ड इस थानेदार की वर्दी के पीछे एक पति भी है.. थानेदार की वर्दी के बावजूद पति और पुलिस खुद अपने घर में सुरक्षित नहीं है.. हुजुर हमें भी जेड प्लस सुरक्षा दिलवाई जाए.. हम भी इंसान हैं रोबोट नहीं.. हमारी जान को खतरा है..” 

वकीलनी चाची ने गुहार लगाई, “थानेदार की वर्दी पहन कर यह आदमी घर में भी पुलिसिया रौब झाड़ता है ,सुरक्षा तो हमें चाहिए इस अकड़बाज,घमंडी, दादागिरी दिखाने वाले वाहियात पुलिस से.. तंग आ गए हैं हम इस पुलिसिया गुंडागर्दी से..”

थानेदार ने आवाज ऊंची की,”यह सरासर इल्जाम है हम पर ..उल्टा ये हम पर अपने कानून की धाराएं झाड़ती रहती है, धाराओं में फंसा कर अंदर करवाने की धमकी देती रहती हैं ,हमारी वर्दी की इज्जत किए बिना अपना कानून बघारती रहती है.. यह सरासर अंधेर है मी लॉर्ड …जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं है तो और लोग कैसे सुरक्षित रहेंगे!!”

वकीलनी चाची ने भी तेवर दिखाए, ” मी लॉर्ड , नागिन पर जब डंडे की चोट पड़ती है तो बचने के लिए वो फन फैलाती ही है ,आप ही बताइए मैं कब तक इसके पुलसिया रौब को झेलूंगी, बचाव में कानून का सहारा तो लेना ही पड़ेगा न..तो कानून से निवेदन है कि वो मुझे सहारा सुरक्षा दोनों दे..”

थानेदार चाचा चीखे, ” वही तो मैं कब से कह रहा हूं ये नागिन है नागिन, काले कोट वाली काली नागिन, जहरीली नागिन जो मुझे डसना चाहती है,मार डालना चाहती है मुझे .. मी लॉर्ड ..मुझे इस नागिन से बचाइए..”

चाची भी चिल्लाई , “मैं नागिन हूं तो तू क्या है संपेरा ? जो मुझे बस में करना चाहता है , पिटारी में बंद कर लेना चाहता है,अपने इशारों की बीन पर मुझे नचाना चाहता है..कान खोल कर सुन ले ..” चाची ने छाती ठोक कर कहा, “कानून की बेटी हूं नाकों चने नहीं चबवा दिए तो मेरा नाम नहीं..”

“अरे जा जा तू क्या चबवाएगी चने, मैं पिसवाऊंगा चक्की तुझसे जेल में..तेरे कानून की रस्सी तेरे ही गले न लपेट दी तो कहना..”

“और तेरे ही डंडे से तेरा कीमा न बनाया तो कहना..”

“और तेरा भुर्ता न बना दिया तो कहना..”

“जा जा बड़ा आया भुर्ता बनाने वाला, तुझे ही बैंगन बना कर न भून दिया तो कहना..”

“चुप कर नागिन..”

“चुप कर भेड़िए..”

“अपनी औकात में रह वरना…”

“ऑर्डर ऑर्डर ..”जज ने जोर से हथौड़ा ठोक कर कहा, ” ये अदालत है तुम्हारा घर नहीं..ये युद्ध अपने घर जाकर लड़ना और..” जज साहब थानेदार साहब की तरफ मुखातिब हुए, “तुम्हें पता नहीं है कि औरतों की सुरक्षा के लिए कितने कानून बने हैं.. उसमें फंस गए तो पुलिस की वर्दी धरी रह जाएगी..मुजरिम बन कर जेल पहुंच जाओगे..बाहर देख नहीं रहे महिला मुक्ति मोर्चा किस तरह मोर्चे पर डटा है..एक तो तुमने बीबी से पंगा लिया ऊपर से वकील से भी पंगा ले लिया..भाई घर जाओ,अपनी बीबी से माफी मांगो और मामला रफा दफा करो.”

फिर जज साहब चाची की तरफ़ मुड़े, “और तुम .. अपने पति को भले परमेश्वर मत समझो पर पति तो समझो ..अच्छा पति की नहीं तो पुलिस की तो इज्जत करो..बताओ आज जब ये मामला अखबारों में मीडिया में उछलेगा तो क्या इज्जत रह जायेगी पुलिस 

की..!अपने पति का न सही पुलिस का तो ख्याल करो.. जाओ घर जाओ और जहां मर्जी अपना वकीली कोट टांगो”

“ठीक है जज साहब आप इस थानेदार को समझा दें..मुझसे बेफजूल पंगा न ले..”

चाचा बीच में ही बोले, ” जज साहब आप इसे भी समझा दें………”

जज साहब ने हाथ जोड़े दिए..”अब जाओ आप…”

मामला हल हो गया अब कोट चाचा की अलमारी में शान से टंगा है और उनकी पुलसिया वर्दी इज्जत का फालूदा बनाती धूल खा रही है..

– डॉ ममता मेहता “पिंकी”

डॉ. ममता मेहता

लेखन .....लगभग 500 रचनाएँ यथा लेख, व्यंग्य, कविताएं, ग़ज़ल, बच्चों की कहानियां सरिता, मुक्ता गृहशोभा, मेरी सहेली, चंपक नंदन बालहंस जान्हवी, राष्ट्र धर्म साहित्य अमृत ,मधुमती संवाद पथ तथा समाचार पत्रों इत्यादि में प्रकाशित। प्रकाशन..1..लातों के भूत 2..अजगर करें न चाकरी 3..व्यंग्य का धोबीपाट (व्यंग्य संग्रह) पलाश के फूल ..(साझा काव्य संग्रह) पूना महाराष्ट्र बोर्ड द्वारा संकलित पाठ्य पुस्तक बालभारती कक्षा 8 वी और 5वी में कहानी प्रकाशित। पूना महाराष्ट्र बोर्ड 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए अभ्यास मंडल की सदस्य प्रस्तुति ..सब टीवी पर प्रसारित "वाह वाह क्या बात है" और बिग टीवी पर प्रसारित "बहुत खूब" कार्यक्रम में प्रस्तुति दूरदर्शन आकाशवाणी से काव्य पाठ संगोष्ठियों शिबिरो में आलेख वाचन ,विभिन्न कविसम्मेलन में मंच संचालन व काव्य पाठ दिल्ली प्रेस दिल्ली तथा राष्ट्रधर्म लखनऊ द्वारा आयोजित व्यंग्य प्रतियोगिता में सान्तवना ,द्वितीय व प्रथम पुरस्कार ।