कविता

कह रहा है आइना

कह रहा है आइनाकि मैं सिर्फ चेहरा देखने की चीज नहीं हूंमैं कुछ कह भी रहा हूंउससे भी सुनना समझना सीखो।अपने चेहरे को देखते समयअपने चेहरे के भावों से, प्रतिक्रियाओं सेखुद को पहचानने की कोशिश करो,पढ़ने की कोशिश करोअपने व्यवहार, विचार और स्वयं आपको, बहुत कुछ बदल जायेगा।यदि आइना जो मैं कह रहा हूँतो तुम्हारा सब कुछ बदल जायेगाइतना ही नहीं तुम्हारा सौभाग्य बदल जायेगाजब चेहरा देखते समयतुम्हारा अंदाज बदल जायेगायदि आइना की आवाज़ तुम्हें सुनना आ जायेगा।आइना क्या कह रहा हैये भी समझ में आ जायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921