कविता

मौत का डर

मुझे कुछ भी नहीं कहना हैन ही बेकार की बातें सुनना हैहम आपकी दया के मोहताज भी नहीं हैंजो हम आपको अपने होने का जो प्रमाण दें।प्रमाण चाहिए तो मुझ पर नज़र रखिएअपना खुफिया तंत्र मेरे पीछे लगाइएआखिर आपको मेरे होने न होने कीइतनी फ़िक्र क्यों है जनाब?क्या आप हमारे करीबी रिश्तेदार हैं?हो सकता है ऐसा हो भी तोपर मैं तो आपको जानता भी नहींऔर न ही आपके साथ कभी किसी रिश्ते की गांठ में बंधना भी नहीं चाहता,वो भी इसलिए आपको जीना नहीं आताक्योंकि आपको अपने होने का सबूतजबरदस्ती दुनिया को देने का बड़ा शौक है,शायद मुर्दा होने का डर आपको ज्यादा सता रहा हैइसीलिए जिंदा होने का सबूत देना पड़ रहा है।अपनी ही तरह आपको सामने वाला भी लग रहा हैपर ये आपका दिवास्वप्न है,क्योंकि जिंदा दिखने के लिए जिंदा होने का सबूत सिर्फ मुर्दों को ही देना पड़ताशायद मुर्दा होने का डर आपको सताता है।क्योंकि आपको तो पता ही नहीं हैकि आपको अपने जीने की खुशी से ज्यादाअपनी ही मौत का डर सताता है।

मुझे कुछ भी नहीं कहना है

न ही बेकार की बातें सुनना है

हम आपकी दया के मोहताज भी नहीं हैं

जो हम आपको अपने होने का जो प्रमाण दें।

प्रमाण चाहिए तो मुझ पर नज़र रखिए

अपना खुफिया तंत्र मेरे पीछे लगाइए

आखिर आपको मेरे होने न होने की

इतनी फ़िक्र क्यों है जनाब?

क्या आप हमारे करीबी रिश्तेदार हैं?

हो सकता है ऐसा हो भी तो

पर मैं तो आपको जानता भी नहीं

और न ही आपके साथ कभी 

किसी रिश्ते की गांठ में बंधना भी नहीं चाहता,

वो भी इसलिए आपको जीना नहीं आता

क्योंकि आपको अपने होने का सबूत

जबरदस्ती दुनिया को देने का बड़ा शौक है,

शायद मुर्दा होने का डर आपको ज्यादा सता रहा है

इसीलिए जिंदा होने का सबूत देना पड़ रहा है।

अपनी ही तरह आपको सामने वाला भी लग रहा है

पर ये आपका दिवास्वप्न है,

क्योंकि जिंदा दिखने के लिए जिंदा होने का सबूत 

सिर्फ मुर्दों को ही देना पड़ता

शायद मुर्दा होने का डर आपको सताता है।

क्योंकि आपको तो पता ही नहीं है

कि आपको अपने जीने की खुशी से ज्यादा

अपनी ही मौत का डर सताता है। 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921