गीत/नवगीत

दूसरी पारी

-साठ का आंकड़ा, पार क्या किया

लगता है जैसे, नये पंख लग गये

नयी नयी विधाओं,से हुआ सामना

खुशियों से रंग मंच, सज गये ।

सोये हुए सब, अरमान जग गये।

अब कुछ समय की, कमी नही है
तमन्नाएं भी दिल में, भरी पड़ी हैं
कुछ तो लोगों ने, उत्साह बढ़ाया,
कुछ खुदबखुद , परवान चढ़ गये।
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

नये -नये लोगों से, हुआ सामना
भरा पड़ा था, अकूत खजाना
एक से बढ़कर, एक हिम्मतवाले
हम तो बस उनके, पीछे लग गये।
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

कोई संगीत में, महा निपुण है
तो कोई साहित्य, में पीटे डंका
नृत्य कला में, है कुछ की महारथ
चित्रकारी में, कुछ किस्से गढ़ गये।
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

यहां तो हर सख्श, ही निर्देशक है
भिन्न -भिन्न कलाओं, का पोषक है
हो बांसुरी वादन ,या उत्कृष्ट गायन
सब अपने क्षेत्र में, कमाल कर गये
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

योग और ध्यान में, कुछ माहिर हैं
आयुर्वेद के गुण, जग जाहिर हैं
जन कल्याण ही, इनका मकसद
ज्ञान से अपने,ये अभिभूत कर गये
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

सब ही मिलने को, रहते बेकरार
सुनाते दिलों को, दिलों की झंकार
देखते ही देखते, समां बांध जाते
पता न चलता, कब नौ बज गये।
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

बस कहने भर को, है दूसरी पारी
सच पूछो तो अब,यह दुनिया सारी
प्रेम , स्नेह, मिलन, से यह जगमग
हम तो बस इसके, रंग में रंग गये।
सोये हुए सब, अरमान जग गये।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई