कविता

समाधान

जब प्रश्न ही बड़ा नहीं हैतब इसका उत्तर भी कठिन कहाँ है?कठिन तो जोड़ना है।पर कोई बात नहीं आपसे हर रिश्ता अभी तोड़ देता हूंँअपने जज्बातों को मार देता हूँबस स्वार्थी नहीं हूँइतनी सी बात थोड़ी देर के लिएमैं खुद ही भूल जाता हूँआप कौन सा मेरे सगे वाले हैं फिर क्यों आपके लिए परेशान होता हूँ।कुछ नहीं रखा आज मानवीय मूल्यों के पीछेफिर नाहक मैं इसमें क्यों उलझता हूँ?आपको हमेशा के लिए छोड़ ही देता हूँ,कैसे तोड़ूँ बताने से अच्छा हैतोड़कर ही सबूत दिखा देता हूँविश्वास दिलाने के लिएआपका ही पहला शिकार करता हूँऔर समस्या का समाधान कर देता हूँ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921