क्षणिका कार्तिक पूर्णिमा *ब्रजेश गुप्ता 28/10/2023 न खुला अम्बर न खुली छत है चाँद मुस्कुरा रहा फेंक रहा अपनी चांदनी बरसा रहा अमृत कैसे पाऊं यह अमृत अपनी बनाई खीर में