कविता

मेरे प्यारे चाँद

आज फिर सुबह सुबह ही

पत्नी से झगड़ा हो गया,

मेरे लिए ये बिल्कुल नहीं नया।

पर आज मेरा पारा ज्यादा गर्म हो गया

और मैं भड़क गया

आज करवा चौथ है 

तुझे इसका भी होश नहीं है क्या?

तू रोज़ तो लड़ती रहती है

मेरे मरने की दुआ करती है

फिर ये व्रत किस लिए रखती है

दिनभर बिना अन्न जल के तड़पती है।

फिर भी बिना लड़े तू क्यों नहीं रहती है।

अब मैं तुझसे तंग आ गया हूं

आज निश्चित ही तूझे छोड़कर जा रहा हूँ,

तेरे करवा चौथ के चक्कर में

मैं मर भी नहीं पा रहा है।

हर साल तू वादा करती है

अगले दिन ही तोड़ देती है,

अगले करवा चौथ तक वादा निभाने की कसम लेती है

करवा चौथ के नाम पर मुझे बेवकूफ बनाती है।

पर अब मैं तेरी एक बात भी नहीं मानूंगा

गंगा में खड़ी होकर भी तू कसम खाए

तो भी मैं अब तेरी बात पर विश्वास नहीं करुंगा

मुझे आज ही मरना है और आज ही मरुंगा

पर तेरे रहते सूकून से इस घर में मर भी नहीं सकता

इसलिए कहीं और जाकर मरुंगा,

कम से कम मरकर भी सही

चैन की सांस तो ले सकूंगा।

पत्नी अपने रौद्रमुखी रुप में आ गई

और जोर जोर से कहने लगी

एक कदम बाहर निकाल कर दो  देख

तेरी टांगें तोड़ दूं तो कहना,

मैं तेरी बीवी नहीं तब ये बात कहना।

मरने की इतनी जल्दी है तो 

बस आज भर और सब्र कर ले

कल तुझे मैं ही जहर दे दूंगी,

कम से कम आज तो चांद में तुझे देख लूंगी,

तेरे हाथों जल पीकर व्रत तोड़ लूंगी

फिर तूझे आजाद कर दूंगी

तेरी ख्वाहिश मैं पूरी कर दूंगी,

अपने जीवन से ही नहीं दुनिया से भी 

तुझे मुक्ति दिला दूंगी।

उसके पहले अगले करवा चौथ तक तुझसे

न लड़ने झगड़ने की सौगंध फिर से ले लूंगी,

ये और बात है कि तुझसे लड़े झगड़े बगैर

भला मैं कैसे जी सकूंगी?

और जब तू ही नहीं रहेगा तो फिर

ये करवा चौथ का व्रत भला किसके लिए करुँगी?

फिर भी तू जहां जाना चाहता है तो अभी चला जा

मरने की बड़ी जल्दी है तो अभी मर जा

पर चांद निकलने से पहले मेरे प्यारे चांद

शराफत से वापस घर लौट कर आ जा

वरना बजा दूँगी मैं तेरा बैंड बाजा,

मैं क्या कर सकती हूं तूझे तो पता है न मेरे राजा। 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921