लघुकथा

लघुकहानी – नई बहू

ऋचा और मनोज की मुलाकात कॉलेज में हुई दोनों ही एक ही क्लास बी,कॉम की तीसरी साल की पढ़ाई कर रहे थे |दोनों को एक दूसरे देखे बिना चैन नहीं मिलता था जब भी मौका मिलता बात करने की कोशिश करते शायद दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था| एक दिन कॉलेज की छुट्टी होने के बाद मनोज ने ऋचा का हाथ पकड़कर बोला ” क्या तुम भी मुझे चाहती हो क्या तुम मुझे पसन्द करती हो| अगर तुम्हारी हां हो तो मैं शादी की बात परिवार वालों से करता हूँ यह सब एक सांस में कह गया |

यह सुनकर ऋचा थोड़ी सी शर्माकर बोली” हां मैं तुम्हें चाहती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ यह सुनकर मनोज ने ऋचा को अपने गले लगा लिया|

दोनों ने अपने घर में बात की दोनों परिवार की रजामंदी से शादी हो गयी और ऋचा घर ने नई बहू के रूप के साथ ग्रह प्रवेश किया| और सासूमाँ के चरण छुए|

मनोज के पिता के गुजर जाने के बाद  शीला थोड़ी थोड़ी चुप सी रहने लगी थी न किसी से कुछ बात करती न ही वो घर से बाहर निकलती कभी कभी मंदिर तक हो आती थी|| उनको पहले हर चीज का शौक था पति के गुजर जाने के बाद तो उन्होंने अपना जन्मदिन मनाना भी बंद कर दिया था न उनको शोर शराबा न किसी से मिलना जुलना न ही  पसंद था वो बस अपने आप में व्यस्त रहती थी|  ऋचा को मनोज ने यह सब पहले ही बता दिया था  नई बहू के घर में आने से रौनक हो गई | वह शीला का हर ख्याल रखती थी सब उनके अनुसार ही काम करती थी आस पड़ोसी सब कहते कि नई बहू के आने से शीला भी धीरे धीरे बदलाव आने लगा है|

ऋचा ने उन्हें अपनी माँ मान लिया बोली वो जैसा कहेगी वैसा ही मैं करुँगी ऋचा शीला के साथ थोड़े ही दिनों में घुल मिल गयी|ऋचा ने एक दिन अपनी सासूमाँ से कहा ” आपका जन्मदिन आने वाला है केक काटेंगे सब मिलकर पार्टी करते है बहुत मजा आएगा

यह सुनकर शीला बोली मैं क्या छोटी बच्ची हूँ कि इस उम्र में अपना जन्मदिन मनाऊँगी मैं कोई केक नहीं काटूगीं न ही पार्टी करुँगी |

देखिये मम्मीजी आप अगर मुझे अपनी नई बहू न समझकर बेटी समझती हो तो जो हम आपके जन्मदिन पर करना चाहते है वो करने दीजिये|

ऋचा ने उन्हें बहुत समझाया तब वो मान गयी |उनके जो रिश्तेदार थें उन सबको निमंत्रण दिया गया उनके सहेलियों को भी बुलाया गया |

शाम को सब तैयार होकर होटल पहुँचे आज कितने समय बाद शीला के मुख पर मुस्कान थी सब लोग आएं केक कट हुआ सभी ने बहुत डांस किया और सबने बहुत आनन्द लिया आज एक अरसे के बाद शीला ने अपने दुख को एकतरफ रखकर जिंदगी के कुछ खुशनमा पल जीए। यह सब हुआ नई बहू की वजह से जो मनोज और शीला की जिंदगी में बहार बनकर आई थी।

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश