धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

श्री अयोध्या जी

अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोउ। यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ।।

श्री राम चरित मानस में बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने अयोध्या की महिमा के बारे में विस्तार से वर्णन किया है, क्योंकि अयोध्या है ही कुछ ऐसी….. अयोध्या जी के लिए तो भगवान श्री राम ने भी कहा है “जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि। उत्तर दिसि बह सरजू पावनि॥

जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा। मम समीप नर पावहिं बासा॥”

श्री अयोध्या जी का स्मरण होते ही एक अद्भुत ऊर्जा और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। भरोसा होता है कि कुछ भी असम्भव नहीं…

   सोच कर देखिये, दो शताब्दियों तक क्रूर आतंकी मुगलों का आधिपत्य, उसके बाद दो शताब्दी तक लुटेरे अंग्रेजों की गुलामी, और फिर स्वतन्त्रता के नाम पर फर्जी सेक्युलरिज्म का बंधन! इस लंबे कालखण्ड में यह सोचना कितना कठिन रहा होगा कि ‘दिन बदलेंगे..” कितना कठिन रहा होगा यह सोचना भी कि अयोध्या के माथे पर लगा कलंक धुलेगा… एक सामान्य व्यक्ति तो वर्ष दो वर्ष की कठिनाई से हार मान लेता है, यहाँ तो लगभग पाँच शताब्दियां अंधेरे में गुजर गयीं थीं।

   ठीक से जगह याद नहीं आ रहा, पर जब बाबर ने मन्दिर तोड़ा तबसे अयोध्या के आसपास के असंख्य गाँवों के ठाकुरों ने यह प्रण लिया था कि जबतक पुनः मन्दिर नहीं बन जाता तबतक पगड़ी नहीं पहनेंगे। इस प्रण के साथ लगभग पच्चीस पीढियां निकल गईं। उस प्रण को ढोते ढोते क्या कभी उनका मन थका नहीं होगा? क्या कभी प्रण छोड़ने का मन नहीं किया होगा? क्या कभी आत्मविश्वास नहीं डगमगाया होगा? ऐसा बिल्कुल हुआ होगा और असंख्य बार हुआ होगा! पर पाँच सौ वर्षों के बाद ही सही, आखिर दिन बदले! अयोध्या के माथे पर लगा कलंक धुला, भारत का प्रण पूरा हुआ।

   मेरे लिए अयोध्या इस भरोसे का प्रतीक है कि अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, वह छंटता जरूर है। यदि राम के काज में इतनी देरी हो सकती है, हम सामान्य जन की बात ही क्या…

    व्यक्तिगत या सामाजिक किसी भी स्तर पर यदि आत्मविश्वास डगमगाए तो एक बार अयोध्या की ओर देख लीजिये, साहस बढ़ जाएगा। यदि कोई भी मुद्दा सुलझता हुआ नहीं दिख रहा हो तो अयोध्या जी को प्रणाम कीजिये, और भरोसा रखिये कि धर्म की विजय होगी। इसे कोई रोक नहीं सकता…

    अंधेरे का छँटना एक अवश्यम्भावी घटना है, बस हृदय में धर्म और प्रतीक्षा करने का साहस होना चाहिए। 

सभी देश वासियों, भारत भक्तों को और राम भक्तों की तपस्या फलीभूत हो रही है। यह हम सभी का सौभाग्य है श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के साक्षी बन रहे हैं क्योंकि हम सब ने सामूहिक प्रतिज्ञा की है, राम काज कीन्हे बिन मोहि कहां विश्राम। भारत आज भगवान भास्कर के सामने सरयू किनारे एक नया अध्याय रच रहा है। आज पूरा भारत राममय है। हर मन आनंदित है। पूरा देश रोमांचित है, सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। आज पूरा भारत भावुक। आज सदियों की आस की लहर है। आनंद का छड़ है बहुत प्रकार से आनंद है। जो संकल्प हिन्दू समाज ने लिया था वह पूरा हो रहा है। जिस अवधपुरी का एहसास कराने के लिए ५०० वर्षों से प्रतीक्षा थी, उसकी पूरे दुनिया को, समस्त भारतवासियों की भावनाओं को मूर्त रूप देने का यह अवसर आज पूरा हो रहा है।

बालभास्कर भारत

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047