धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सद्भाव का अनूठा संगम बना यूएई का मंदिर !

वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारत एक आध्यात्मिक धार्मिक सामाजिक सद्भाव के संगम की अनूठी धरतीरही है, यहां सभी धर्मोँ की साझा विरासत व सद्भाव का अनोखा संगम भी है, जिसकी सुगंध अब सारे विश्व में फैलने लगी है, जिसका सटीक प्रतीक अमेरिका में विशाल हिंदू मंदिर का उद्घाटन हुआ था जिसकी गूंज पूरी दुनियां में हुई थी।अब ऐसा ही एक पल यूएई  अबू धाबी में दिनांक 14 फरवरी 2024 को देखने को मिला जिसका उद्घाटन माननीय पीएम ने किया और कहा यूएई में इतिहास रचा गया है। बता दें 2017 में माननीय पीएम ने ही इसकी आधारशिला रखी थी जिसके लिए अबू धाबी में 17 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की गई थी। हालांकि इसकी कल्पना बीएपीएस के दसवें आध्यात्मिक गुरु और संप्रदाय प्रमुख ने अप्रैल 1997 अबू धाबी में, अबू धाबी की रेगिस्तान भूमि पर मंदिर की कल्पना की थी। चूंकि आज मंदिर में सभी धर्म का योगदान है इसलिए धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक सद्भाव का अनूठा संगम है।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे पवित्र मंदिर यूएई और भारत के बीच सांस्कृतिक समृद्धि धार्मिक सहिष्णुता और द्ववपक्षीय सहयोग को पीढ़ियों तक मनाया जाएगा। 

साथियों बात अगर  हम इस पवित्र मंदिर के यूएई में बनने और उद्घाटन की करें तो, यूएई एक मुस्लिम देश है। लेकिन यहां एक भव्य हिंदू मंदिर बन गया है। यूएई की राजधानी अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन बुधवार को पीएम ने किया और मानवता को समर्पित करते हुए साझा विरासत का प्रतीक बताया। इसके अलावा उन्होंने यूएई को इसके लिए धन्यवाद दिया। यूएई की बड़ी आबादी का हिस्सा दूसरे देशों से आए लोगों से बना है, जिसमें भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी सबसे ज्यादा हैं। मंदिर बनने के बाद यहां पहुंचे पाकिस्तान के मुस्लिमों ने भी हैरानी जताई। यूएई का मंदिर सह अस्तित्व की मिसाल है। क्योंकि इस मंदिर को बनाने में लगभग सभी धर्मों का योगदान रहा है। वहीं मंदिर खुलने के बाद अब यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम भी पहुंच रहे हैं। काम करने वाले कारीगरों में मुस्लिम रहे हैं, यह एक प्रिंट मीडिया की रिपोर्ट में मंदिर में लाइटें लगाते शख्स नेबताया। वहीं मंदिर को देखने गए कुछ लोगों से बात की गई तो वह पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमान निकले जो इसकी भव्यता की तारीफ करने से खुद को न रोक सके। मंदिर में काम करने वाले इस्माइल, जुबैर, इरफान और आसिफ से बात की गई। उनमें से इस्माइल ने कहा कि वह सुबह से ही मंदिर को देखे जा रहे हैं, क्योंकि यह बेहद कमाल का बना है। उन्होंने आगे कहा कि हमें ऐसा लगता है कि शायद ऐसा मदर इंडिया में भी नहीं बनाहोगा। इन सभी ने मंदिर की नक्काशी और खूबसूरती की तारीफ की। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इसे देखकर ही लगता है कि काफी पैसा खर्च हुआ है। मंदिर की दीवारों पर 14 संस्कृतियों की कहानियों को बनाया गया है।

साथियों बात अगर हम इस पवित्र मंदिर की नींव और कल्पना के बारे में जानने की करें तो, 1997 में हुई मंदिर की कल्पना बीएपीएस के अनुसार 10 वें आध्यात्मिक गुरु और संप्रदाय के प्रमुख, प्रमुख स्वामी महाराज ने अप्रैल 1997 में अबू धाबी की रेगिस्तानी भूमि पर मंदिर की कल्पना की थी। उनका विजन देशों, समुदायों और संस्कृतियों को एक साथ लाना था। मंदिर अरब और भारतीय संस्कृति के संगम को भी दिखाता है। मंदिर में ऊंट और बाज की भी नक्काशी हुई है। मई 2023 में 30 देशों के राजदूतों ने मंदिर की यात्रा की थी। इस दौरान जपान के राजदूत अकीओ इसोमाटा ने कहा, मुझे नक्काशी में सहिष्णुता का दर्शन दिखाई देता है।यह यूएई और भारत के बीच सांस्कृतिक समृद्धि, धार्मिक सहिष्णुता और द्विपक्षीय सहयोग का जश्न मनाएगा। यह दोस्ती के स्थायी बंधन और साझा मूल्यों का भी प्रतीक है जो दोनों देशों को एकजुट करता है। बीएपीएस मंदिर सहयोग, विश्वास और विविधता में एकता की शक्ति का एक प्रमाण है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करता है। पश्चिम एशिया का यह सबसे बड़ा मंदिर होगा। यह पूरी तरह से पत्थर का बना है। आइए जानें इससे जुड़ी खास बातों के बारे में माना जा रहा है कि संयुक्त अरब अमीरात में बने इस हिंदू मंदिर के उद्घाटन होने पर रेगिस्तानी देश में लाखों श्रद्धालु आकर्षित होंगे। इस मंदिर में एक साथ 10, हज़ार लोगों पूजा-पाठ कर सकेंगे। यह इस क्षेत्र का पहला पत्थर से बना हिंदू मंदिर होने वाला है। इसक मंदिर के निर्माण में 700 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मंदिर के निर्माण में राजस्थान और इटली के गुलाबी बलुआ पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही इस मंदिर में सात शिखर शामिल हैं, जो अरब अमीरात के अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। पत्थरों पर रामायण ,महाभारत, भागवत और शिव पुराण की कहानियों से प्रेरित कई मूर्तियां उकेरी गई हैं। इन मंदिरों में शिखर वेंकटेश्वर, स्वामीनारायण, जगन्नाथ और अयप्पा जैसे देवता विराजमान होंगे।संयुक्त अरब अमीरात में तैयार हुआ हिंदू मंदिर विविध समुदायों के सांस्कृतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। मंदिर का डोम ऑफ हार्मनी पांच प्राकृतिक तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। मंदिर के परिसर में घोड़ों और ऊंटों जैसी कई नक्काशी की गई है, जो संयुक्त अरब अमीरात का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वामीनारायण, भगवान कृष्ण के अवतार ही माने जाते हैं। बीएपीएस हिंदू संप्रदाय, स्वामीनारायण के प्रति अटूट आस्था रखता है। अबू धाबी में हो रहे इस मंदिर के निर्माण में 50 हज़ार से अधिक लोगों ने ईंटें रखी हैं, जिसमें भारत के विदेश मंत्री से लेकर अभिनेता  तक भी शामिल हैं। 

साथियों बात अगर हम इस मंदिर के बारे में संक्षिप्त 10 बातों को जानने की करें तो, मंदिर से जुड़ी 10 खास बातें(1) बीएपीएस मंदिर का निर्माण बड़ी मात्रा में संगमरमर, बलुआ पत्थर और ईंटों से हुआ है। 4 लाख घंटे से ज्यादा श्रम के साथ इसे बनाया गया है।(2)यह मंदिर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। पूरा होने पर इसकी ऊंचाई 108 फीट होती है, जो देखने लायक है।(3)इस मंदिर का एक रिकॉर्ड भी है। यह पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। बीएपीएस मंदिर के पैमाने और भव्यता ने वास्तुशिल्प उत्कृष्टता और सांस्कृतिक महत्व में नए मानक स्थापित किए।(4)इसका डिजाइन एक प्रेरणा है। वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरणा लेते हुए मंदिर का डिजाइन परंपरा और विरासत के प्रति गहरी श्रद्धा को दिखाता है। भारत में कारीगरों ने सावधानीपूर्वक जटिल नक्काशी की और मूर्तियां बनाई।(5)पीएम मोदी की यूएई यात्रा के दौरान मंदिर परियोजना के लिए जमीन का आवंटन हुआ था। यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक कूटनीतिक और सहयोग के महत्व को दिखाता है।(6)इसमें भारत के कुशल कारीगरों ने अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर अभिनेता अक्षय कुमार और संजय दत्त जैसी प्रमुख हस्तियों समेत 50 हजार से ज्यादा लोगों ने निर्माण में भाग लिया है, जो एक सामान्य लक्ष्य की दिशा में सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।(7)मंदिर के डिजाइन में एकीकृत सात शिखर हैं जो अमीरात की एकता का प्रतीक है।(8)मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को एक भव्य समारोह के साथ मनाया जाएगा, जो सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सांप्रदायिक समारोहों के संगम का प्रतीक है, जिसे उपयुक्त रूप से सद्भाव का त्योहार नाम दिया गया है।(9) इस मंदिर के निर्माण में 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आया है।(10)धार्मिक महत्व के साथ मंदिर परिसर एक बहुआयामी स्थान है, जिसमें आगंतुक केंद्र, प्रार्थना स्थल, पर्दर्शनी,बच्चों के खेलने का स्थान, फूड कोर्ट, किताबें और उपहार की दुकान शामिल है। मंदिर की नीव में 100 सेंसर और पूरे क्षेत्र में 350 से ज्यादा सेंसर हैं, जो तापमान, भूकंप और दबाव से जुड़े डेटा देते हैं। 

साथियों बात अगर हम मंदिर में सुविधाओं और अमेरिका के मंदिर की करें तो, मंदिर परिसर में लोगों के लिए बहुत सारी सुविधाएं हैं जिसमें एक बड़ा एम्फीथिएटर, प्रार्थना कक्ष, गैलरी, लाइब्रेरी, थीम आधारित बगीचे, खूबसूरत फव्वारे, फूड कोर्ट, गिफ्ट कॉर्नर आदि शामिल हैं।हाल ही में अमेरिका के न्यूजर्सी में सबसे बड़े हिंदू मंदिर अक्षरधाम का उद्घाटन किया गया है, जो मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ठीक इसी प्रकार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबू धाबी में भी विशाल अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होने जा रहा है। यह बीएपीएस हिंदू मंदिर संयुक्त अरब अमीरात में पहला हिंदू मंदिर और पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा मंदिर होगा। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक सद्भाव का अनूठा संगम की मिसाल बना यूएई का मंदिर !यूएई का मंदिर – सभी धर्मों की साझा विरासत व सद्भाव की अनूठी मिसाल।पवित्र मंदिर-यूएई और भारत के बीच सांस्कृतिक समृद्धि धार्मिक सहिष्णुता और द्वपक्षीय सहयोग का जश्न पीढ़ियों तक मनाया जाएगा।

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया