कविता

अपना अपना अंदाज

धरती पर हर किसी के
जीने का अपना अपना अंदाज़ है,
कोई लाचार तो कोई बेकार है
किसी के लिए अपना और अपनों को छोड़
सारा ज़हान ही अपना संसार है।
कोई रोता तो कोई रुलाता है
कोई हँसता और हँसाता है,
कोई अपने लिए जीता है
कोई अपनों के लिए जीता है।
कोई खुद के, तो कोई औरों के लिए
जीवन का ध्येय बना लेता है,
कोई जीते जी औरों के फटे में
टांग अड़ाकर बड़ा गर्व करता है।
किसी को अपने सुख की बड़ी चिंता है
तो किसी को औरों को रुलाने में ही रस मिलता है,
कोई अपने आंसू दुनिया से छिपाकर जीता है
तो कोई अपना दुखड़ा सुनाकर बड़ा सूकून पाता है।
कोई खुद की परवाह करता है
तो कोई लापरवाही से आगे बढ़ता रहता है,
कोई अपने दुःख से दुःखी है
तो कुछ ऐसे भी हैं दुनिया में
जो औरों के सुख का मातम मनाते हैं।
दुनिया में जीने  की कोई सटीक राह नहीं यारों,
जिसे जिसमें मजा आता है
उसी में जीता और मगन रहता है।
मुफ्त में इसको उसको
जीने की सलाहें मुफ्त में बाँटता है,
यह और बात है कि खुद उस पर
अमल करने में बड़ा परहेज़ करता है।
आप सब भी बाखुशी अपने ढंग से
जीते हुए निरंतर आगे बढ़िए,
औरों को बांटने के लिए,
जीने के अंदाज का पेटेंट कराकर
आज ही सुरक्षित कर दुनिया को बाँटिए

और सूकून से जीते रहिए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921