कविता

बेशक हज़ारों हैं रिश्ते

जीवन में रिश्ते बहुत हैं अनोखे 

कुछ से मिलता प्यार कुछ से मिलते हैं धोखे 

कुछ को मिलता है अपनापन और प्यार रिश्तों में

कुछ ढूंढते हैं गिराने के मौके 

बेशक हज़ारों रिश्ते हैं इस जहां में

रिश्तों में माता पिता का रिश्ता सबसे है बड़ा

कितनी भी बाधाएं आ जाएं ज़िन्दगी में

पर यह रिश्ता बच्चों के लिए हमेशा जग से है लड़ा 

कहीं खून के रिश्ते हैं साथ छोड़ जाते

कहीं मुंह बोले रिश्ते हैं साथ निभाते 

वक्त आने पर जो छोड़ते नहीं देते हैं साथ

वही असली रिश्ते हैं कहलाते

रिश्तों का बहुत महत्व है अभी भी रिश्ते हैं महान

मेहमान बन कर जो आता था समझते थे उसे भगवान

रिश्ते ही तो काम आते हैं बुरे वक्त में

उस वक्त ही होती है असली रिश्तों की पहचान

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र