कविता

नारी तुम प्रेरणा हो

नारी तुम प्रेरणा हो
मेरा विस्वास हो,
तुम ही मेरे जीवन का आस हो।
तुम निधि हो,निर्धारण हो
तुम मेरे भूतकाल हो।
और तुम्ही वर्तमान हो।
तुम मेरे कदम हो
तुम ही मेरे मार्गदर्शक हो।
तुम शक्ति स्वरुपा काली हो
तुम समृद्धि देने वाली लक्ष्मी हो।
तूम विकट परिस्थितियों से-
बचाने वाली दुर्गा हो।
तुम दयामयी
तुम ममतामयी
तुम ही वात्सल्यमयी हो
तुम माँ हो।
तुम बहिन हो
तुम बेटी हो
और तुम ही जीवनसंगिनी-
अर्धांगनी हो।
तुम क्षमावान हो
तुम्ही धैर्यवान हो
तुम कौशल की खान हो
तुम ही क्षमता में महान हो।
तुम हो जन्मधात्री
तुम ही पालनहार हो
तुम ही प्रकृति हो
तुम सिरजनहार हो।
तूम ही नवरात्र की हेतु हो
तुम ही नवस्वरूपा नारी हो
और तुम ही नवकन्या हो।
तुमसे यह सृष्टि है
तुमसे ही यह प्रकृति है।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578