भाषा-साहित्य

कवि भावनाओं के मधुर साधक

वास्तव में भावों का और विचारों का  प्रतिपादन कौशल ही कवि की अभिव्यंजना शक्ति का परिचायक बन कर उसे शब्द शिल्पी बना देता है, अपने मानस को  निरंतर तराशकर 

सामर्थ  सृजक के रुप में स्वयं को साहित्य जगत  में प्रतिष्ठित करके  आगे बढ़ता हुआ नज़र आने वाले आज के  सभी साहित्यकार  बंधु धन्यवाद के सच्चे  हक़दार है।जिनकी कलम से साहित्य जगत आज भी रौशन हैं। 

भावनाओं के मधुर  साधक  साहित्य को विशिष्ट  पहचान दिलाने वाले, जीवन साधना में  संसार के अनुभवों की प्रतिक्रियाओं को भाषा के माध्यम से यानी कविता ग़ज़ल और नज़्म के मध्यम से अभिव्यक्ति देकर साहित्य को प्रेरणा प्रदान करने वाले,सांस्कृतिक  चेतना से ओतप्रोत साहित्यिक गतिविधियों

के प्रेरक बहुमुखी प्रतिभा के धनी, आप सभी कवि साहित्य कार व्यक्तित्व को नमन। वेदना,करुणा,तथा प्रेम दर्शन की अभिव्यक्ति करते हुए, साहित्यकार,  कविगण एक उच्चतम भावभुमि पर पहुंच कर

एक सशक्त  हस्ताक्षर बन कर स्वयं को उभारते हैं,

कवियों का सरल सहज़ स्वभाव हम सबको उनके अपना होने का विश्वास दिलाता है,

जिनकी रचनाएं हमें संसार की सैर कराती है। कवियों कीरचनाओं का प्रकाशन में आना वाक़ई गौरव का विषय है,और अविस्मर्णीय भी। जो हमें भी कहीं न कहीं लाभान्वित जरूर करती हैं। समाज को कवि सजग बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नज़र आते हैं, 

धन्यवाद समस्त कविगणों का आभार कविता दिवस पर।

लिखते रहें,खुश रहें, संपन्न रहें  स्वस्थ रहें। इसी आशाओं के साथ  आपका साथी।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- dr.m.a.shaholo2@gmail.com , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,