गीत/नवगीत

शहीदी दिवस

23 मार्च सन,उन्नीस सौ इकत्तीस
राज गुरु , सुखदेव और
शहीद-ए-आजम, श्री भगत सिंह।
देश की आजादी, की खातिर
चूमा था, फांसी का फंदा
और हंसते हंसते, हो गये शहीद।।

हमको भी,आजादी का मूल्य समझना चाहिए

आपस में, लड़ना छोड़कर
एक जुट , रहना चाहिए ।
अन्यथा कोई , विदेशी सिरफिरा
‌ फिर से, आंख दिखाएगा
हमारी खोखली , एकजुटता का
नाजायज़, लाभ उठाएगा।।

जाति, धर्म सब, अपनी जगह हैं
सबसे ऊपर, देश है
आपसी विवाद कुछ, हो सकते हैं
अपने -अपने, परिवेश हैं।
लेकिन हम भी, रहें जागरूक
वक्त की यह, आवाज है
सब कुछ सत्ता, दारों पर न छोड़ें
विश्वास में ही, विश्वास घात है।।

पाक, चाइना की, कुटिल दृष्टि
की तो हमको, जानकारी है
देश के अंदर, छुपे भेड़ियों की
जबरदस्त, पहरेदारी है।
अच्छा हो जो, उनकी भी
पहचान शीघ्र, कर ली जाए
सब मिल करें, उन्हें, अलग-थलग
स्वतंत्रता अक्षुण्ण , रखी जाए।।

कितनी मुश्किल से,मिली आजादी
व्यर्थ न इसको, जाने देंगे।
सबसे ऊपर, राष्ट्र है
वक्त पड़े पर
सिद्ध करेंगे।।
देश की खातिर, मर मिट गये जो
जिनसे ही रोशन है, अपना चमन
शहीदी दिवस के, अवसर पर
राष्ट्र करता उन्हें, शत् शत् नमन।।

शहीदी दिवस के, अवसर पर
राष्ट्र करता उन्हें, शत् शत् नमन।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई