गीत/नवगीत

होली है

अर्पित हैं आपको मेरी भावनाएं
होली की सबको रंगारंग शुभकामनाएं।।

रंगों का, त्योहार है, होली
चलो एक दूजे, को रंग लगाएं
आपसी वैमनस्य, भूल-भाल के
एकता के सूत्र में, सब बंध जाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

भय, लालच और, शत्रुता त्यागें
ज्यादा मोह माया के, पीछे न भागें
पीछे छूट गये , जो संस्कार हमारे
आओ हम उन्हें , फिर से अपनाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

हर्ष और उल्लास, का पर्व है होली
निकल पड़ी है, मस्तानों की टोली
ढोल, नगाड़ों की, थाप पर थिरकें
बच्चों के संग, बच्चा बन जाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

आओ जी भरकर, मस्ती कर लें
शुद्ध विचारों से, अंतर्मन भर लें
पिछली बातों को,देकर तिलांजलि
नव ऊर्जा से, ओत-प्रोत हो जाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

गुझिया की मिठास, सा प्यार बांटे
जो कमजोर हैं, उनको न डांटे
जाति-पाति का, अन्तर भूलकर
छोटे -बडे़ को, गले लगाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

कितनी विकट हो, कपट की छाया
सदियों से सत्य, ही जीतता आया
प्रेम और भक्ति में, बहुत ताकत है
आओ सत्य को, शीष नवाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

सुख-दुख तो,जीवन का, हिस्सा है
यह तो घर-घर, का किस्सा है
धैर्य का दामन, जरा थामे रखें
और ज़िंदगी का, आनंद उठाएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

लोकतंत्र का पर्व , बस आने वाला
लुभावने वादों का, है गड़बड़झाला
सोच समझकर तुम, बटन दबाना
ऐसा न हो कि, बाद में पछताएं
इस बार विकारों की, होली जलाएं

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई