संपूर्ण तथ्य सच
सच तो सच होता है मेरे भाई
उसमें क्या कड़वा और क्या मीठा,
धन्ना सेठ सुने उसे या फिर घसीटा,
सच मीठा उसके लिए होता है
जिसे सकारात्मक सुनने को मिलता है,
खुशी के मारे तनबदन हिलता है,
चेहरा चमक कर खिलता है,
वहीं दूसरी ओर
सच कड़वा उनके लिए होता है
जिसे नकारात्मक सुनने को मिलता है,
सच का स्वाद
उससे पड़ने वाला परिणाम तय करता है,
हर्ष या विषाद रगों में विलय करता है,
वर्ना सच एक संपूर्ण तथ्य है
जिसे किसी स्वाद की जरूरत नहीं,
स्वीकार्यता मन में गूंजे तो सही।
— राजेन्द्र लाहिरी