करवा चौथ
1-
पतियों को दीर्घायु कर, रखो प्रिया का मान।
रखती करवा चौथ व्रत, पत्नी बहुत महान।।
चाँद चाँद को देखती, कर सोलह श्रृंगार।
मुझ जुगनू के ही लिये, देती सब कुछ वार।।
चाँद दाग से है भरा, फिर भी पूजा जाय।
जो निश्छल बेदाग है, क्यों वो नहीं सुहाय।।
सारे पति आकर सुनो, मेरी इतनी बात ।
पत्नी जीवन संगिनी, नहिं केवल मृदु गात।।
पति पत्नी मिलकर रहें, जीवन हो खुशहाल।
आओ इस त्यौहार पर, कर लें दूर मलाल।।
2-
प्यारे चाँद
ओ मेरे प्यारे चाँद!
मत घबराओ
सदियों से तुम
सुंदरता के
सबसे बड़े उपमान हो
भेद खुल जाने के बाद भी
हमारे लिए वही प्रतिमान हो
तीज ईद और करवा चौथ के
नायक हो
जवानी की दहलीज पर
कदम रखती
हर गोरियों के कोमल दिलों के
प्यारे अधिनायक हो
न सकुचाओ, न शर्माओ
हमारा चन्द्रयान टू
बस तुम्हें प्यार से देखेगा
वर्षों की हसरत को
चंद लम्हों में समेटेगा
किन्तु छूएगा नहीं
पद दलित भी नहीं करेगा
क्योंकि
तुम्हारे भीतर हम
अपने प्रियतम की
मोहक छवि पाते हैं
इसीलिए
समीप जाकर
अपलक निहारकर
नयनों की प्यास बुझाते हैं।
3-
करवा चौथ महात्म्य
हे मेरे जीवन की संगिनि तुझे नमन l
तेरे ही सँग भवसागर से करें गमन l
मेरी साँसों से यादों तक तुम ही हो l
तुमसे ही सुरभित है मेरा प्रणय चमन ll
तुमसे ही ये जग सारा तुमसे जीवन l
तुमसे ही सागर हिमगिरि तुमसे कानन l
तुमसे ही है हास हमारे होठों पर l
संग तुम्हारे लगता पतझड़ भी सावन ll
तुम मेरे वंशज की धात्री संवाहक l
गर्मी में शीतलता सर्दी में पावक l
तुम वीणा की सरगम तुम ही शहनाई l
नहीं माँगती हो तुम मुझसे कोई हक ll
मुझे बनाया माथे की बिंदिया लाली l
माँग दर्प सिन्दूर कान कुंडल बाली l
पाव महावर हाथ हिना चपला लगती l
पा मुझको मद से मदमाती मतवाली ll
चाँद रश्मि में पति को देखे शरमाये l
चलनी के ओटन से प्यारी मुसकाये l
कर सोलह श्रृंगार बाट जोहती वो l
चंदा के सँग पति को पाकर हरषाये ll
करवा चौथ प्रिया का पति पर है अर्पण l
करवा चौथ एक दूजे का है दर्पण l
करवा चौथ काल के मुख पर चाटा है l
करवा चौथ सभी संशय का है तर्पण ll
— डॉ अवधेश कुमार अवध
