कविता

जाना है मुझको, मैं चला जाऊँगा

जाना है मुझको, मैं चला जाऊँगा
चाहो ना चाहो, पर याद आऊँगा।

जब-जब गुँजेगी आवाज़ तेरी,
जब नाम तेरा लिया जाएगा
हर सुर में, हर बोल को
मैं संग तेरे गुनगुनाऊँगा।
चाहो ना चाहो, पर याद आऊँगा॥

मंजिल दूर, राह ना आसान है
कभी चलूँगा, कभी ठहर जाऊँगा
मैं सफ़र का, गुमनाम मुसाफ़िर तेरा
हर पल साया बन, साथ निभाऊँगा।
जाना है मुझको, मैं चला जाऊँगा,
चाहो ना चाहो, पर याद आऊँगा॥

राजीव उपाध्याय

राजीव उपाध्याय

नाम: राजीव उपाध्याय जन्म: 29 जून 1985 जन्म स्थान: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश पिता: श्री प्रभुनाथ उपाध्याय माता: स्व. मैनावती देवी शिक्षा: एम बी ए, पी एच डी (अध्ययनरत) लेखन: साहित्य एवं अर्थशास्त्र संपर्कसूत्र: [email protected]

4 thoughts on “जाना है मुझको, मैं चला जाऊँगा

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

    • धन्यवाद सिंघल साहब। आपसे निवेदन है कि आप अपनी टिप्पणियों में मेरी कमजोरियों की ओर ध्यान दिलाने का कष्ट करें। इस तरह मैं आपके सानिध्य का भरपूर लाभ ऊठा सकूँगा।

  • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति !

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