नया सवेरा….
आतुर है सूरज, हर तम का सीना चीर निकलने को
बांह पसारे हैं कलियां, किरणों का स्वागत करने को।
सजने लगी धरा, बिखरे हैं ओस के मोती तृण तृण पर
नया सवेरा मुस्काया, नव आशा दामन भरने को॥
खोल कमल दल पाती, करते हैं तालाबों का श्रृंगार
ललित लताये स्वागत को आतुर हैं, ले फूलों के हार।
अंगडाई लेती नव कोपल, झांक रही हैं आशा से
लुटा रही है मदहोशी, खुशबु में डूबी नवल बयार॥
कलरव कर उड चली, टोलियां नव आकाश उडानों को
हर पंछी ले नव उमंग, लालायित ऊचां जाने को।
सिन्दूरी लाली से, होने लगीं दिशाये आलौकिक
मंगल गाती सुबहा आई, जीवन गीत सुनाने को॥
अंगडाई ले आंखें लगा खोलने, हर्षित जन जीवन
नया दिवस लेकर आया है , नव उम्मीदों के नव पल।
नव उर्जा से संचित हो, झूमे पुलकित पाती पाती
नव खुशियों से आच्छादित, लगता है देखो जहाँ सकल॥
ले उपहार अपार प्रकृति, बुला रही है आ जाओ
सुबहा की इस बेला में, अनमोल खजाना पा जाओ।
चलो चले सानिध्य, धरा श्रृंगार धरे स्वागत में है
आओ विचरण करो अतुल धन स्वास्थ लाभ का पा जाओ॥
सतीश बंसल