बाल कविता

चार बाल गीत

जग सुरभित कर जाएंगे
हमने प्रभु से खुशबू पाई,
सुंदरता का वर पाया ।
कांटों-संग कोमलता पाई,
पाकर, जग को महकाया ।।
हम कब कहते हमें न तोड़ो,
हम तो झर ही जाएंगे ।
पर, झरकर मरने से पहले,
जग सुरभित कर जाएंगे ॥

 

 

भालू
काला भालू मोटा भालू,
जंगल में रहता है भालू ।
शहद को खाना इसको भाता,
सर्कस में खेल दिखाए भालू ॥
कभी-कभी बस्ती में आकर,
सुंदर नाच दिखाता भालू ।
जरा संभलकर इससे रहना,
कभी भयानक होता भालू ॥
 
कृष्ण बना दे
मां मुझको तू कृष्ण बना दे,
देश-प्रेम की लगन लगा दे ।
छोटा-सा पीताम्बर पहना,
नन्हीं-सी वंशी दिलवादे ॥
मोर-पंख का मुकुट सजीला,
मेरे शीश पर आज सजा दे ।
माखन-मिश्री खूब खिलाकर,
मुझको शक्तिमान बना दे ॥

 
देश की शान बढ़ाएंगे
नन्हें-नन्हें बालक हैं हम,
काम हमारे बड़े-बड़े ।
छोटे-छोटे कद हैं हमारे,
वार करें हम बड़े-बड़े ॥
हम भारत मां के सपूत हैं,
देश की शान बढ़ाएंगे ।
अपना तन-मन-धन तक भी,
इस पर हंसकर वारेंगे ॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

8 thoughts on “चार बाल गीत

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    सुंदर बालगीत

  • मनमोहन कुमार आर्य

    बाल गीत सजीव वा सुन्दर लगे। आपके गहन चिंतन और विचारों को सादर नमन।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, आपके गवेषणात्मक सकारातमक नज़रिए को भी सादर नमन.

  • मनमोहन कुमार आर्य

    बाल गीत सजीव वा सुन्दर लगे। आपके गहन चिंतन और विचारों को सादर नमन।

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छे बाल गीत बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन, बाल गीत अत्ति सुन्दर लगे .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

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