चार बाल गीत
जग सुरभित कर जाएंगे
हमने प्रभु से खुशबू पाई,
सुंदरता का वर पाया ।
कांटों-संग कोमलता पाई,
पाकर, जग को महकाया ।।
हम कब कहते हमें न तोड़ो,
हम तो झर ही जाएंगे ।
पर, झरकर मरने से पहले,
जग सुरभित कर जाएंगे ॥
भालू
काला भालू मोटा भालू,
जंगल में रहता है भालू ।
शहद को खाना इसको भाता,
सर्कस में खेल दिखाए भालू ॥
कभी-कभी बस्ती में आकर,
सुंदर नाच दिखाता भालू ।
जरा संभलकर इससे रहना,
कभी भयानक होता भालू ॥
कृष्ण बना दे
मां मुझको तू कृष्ण बना दे,
देश-प्रेम की लगन लगा दे ।
छोटा-सा पीताम्बर पहना,
नन्हीं-सी वंशी दिलवादे ॥
मोर-पंख का मुकुट सजीला,
मेरे शीश पर आज सजा दे ।
माखन-मिश्री खूब खिलाकर,
मुझको शक्तिमान बना दे ॥
देश की शान बढ़ाएंगे
नन्हें-नन्हें बालक हैं हम,
काम हमारे बड़े-बड़े ।
छोटे-छोटे कद हैं हमारे,
वार करें हम बड़े-बड़े ॥
हम भारत मां के सपूत हैं,
देश की शान बढ़ाएंगे ।
अपना तन-मन-धन तक भी,
इस पर हंसकर वारेंगे ॥
सुंदर बालगीत
बाल गीत सजीव वा सुन्दर लगे। आपके गहन चिंतन और विचारों को सादर नमन।
प्रिय मनमोहन भाई जी, आपके गवेषणात्मक सकारातमक नज़रिए को भी सादर नमन.
बाल गीत सजीव वा सुन्दर लगे। आपके गहन चिंतन और विचारों को सादर नमन।
बहुत अच्छे बाल गीत बहिन जी !
प्रिय विजय भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
लीला बहन, बाल गीत अत्ति सुन्दर लगे .
प्रिय गुरमैल भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.