धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

भारतीय पंचांग का व्यवहार करें

मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता होती है कि आज सैकड़ों की संख्या में मेरे मित्रों और सम्बंधियों ने नव संवत्सर की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया। फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, एसएमएस, टेलीफ़ोन आदि से यह कार्य किया गया। लेकिन यह कार्य तब तक अधूरा है जब तक हम अपने इस पंचांग का व्यवहार अपने दैनिक कार्यों में नहीं करते।

एक बार हमारे एक प्रमुख कार्यकर्ता लखनऊ में नव वर्ष मेले का आयोजन कर रहे थे और उसका प्रचार कर रहे थे। मैंने उनसे पूछ लिया कि क्या आपको पता है कि आज कौन सी तिथि है? उनका उत्तर नकारात्मक था। तब मैंने उनसे कहा कि जब आप स्वयं इस वर्ष और पंचांग का उपयोग नहीं करते तो दूसरों को उपदेश क्यों देते हैं? उनके पास कोई उत्तर नहीं था। यह हाल लगभग सभी हिंदूवादियों का है।

हम सरकारी कामों में तो ईसाई वर्ष के अनुसार चलने को बाध्य हैं, परन्तु अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक कार्यों में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। इसलिए मैंने यह तय किया है कि आगे से फ़ेसबुक या व्हाट्सएप या वेबसाइट पर कोई पोस्ट लगाऊँगा तो उसमें ऊपर या नीचे भारतीय पंचांग के अनुसार तिथि अवश्य अंकित करूँगा, जैसा कि इस पोस्ट पर किया है।

मेरा निवेदन है कि आप भी ऐसा ही करें, तो भारतीय पंचांग की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

— विजय कुमार सिंघल
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, सं. २०७३ वि.

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

One thought on “भारतीय पंचांग का व्यवहार करें

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, सबसे पहले तो आपको नए संवत्सर की शुभकामनाएं. आपकी जागरुकता और बेबाकी तारीफ़े-काबिल है. कृपया अपनी वेबसाइट पर भारतीय पंचांग उपलब्ध करवाएं. सार्थक आलेख के लिए आभार.

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