कविता

कविता : नज़रिया

नज़रिया बदल रहा है, देखने का मेरा भी
संग ज़माने के अब तो, मैं भी बदल रही हूँ !!

समझ रही हूँ मैं भी, तेरे दिल की धड़कन
संग तेरी धड़कनों के, मैं भी बहक रही हूँ !!

प्यार से मुझे देखना, पैगाम दे है मुझको
सांसों की महक से, तेरा हाल समझ रही हूँ !!

उम्मीद भरे दिल का, ज़रा हौसला तो देखो
जो है अब किसी का, उसकी आरजू कर रही हूँ !!

हैं फासले बहुत अब, तेरे – मेरे दरमियान में
है फैसला आसमां का, मैं उससे लड़ रही हूँ !!

नज़रिया बदल रहा है, बदल रही है ये दुनिया
नए ज़माने के संग -संग , मैं भी बदल रही हूँ !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed