बाल कहानी

बाल कहानी : हाथ में काम, मुख में राम

एक समुद्र के किनारे एक बड़े-से पीपल के पेड़ पर एक तोता रहता था, उसका नाम मिठू था. हरे रंग के तोते पर लाल रंग की चोंच बहुत फबती थी. समुद्र के पानी में मछलियां भी थीं. एक सुनहरी मछली (गोल्डफिश) रोज़ तोते से मिलने और बतियाने आती थी. तोते को उसकी भोली-भाली बातें बहुत अच्छी लगती थीं. एक दिन गोल्डफिश बोली-
”मिठू भाई, एक बात मुझे समझ नहीं आती मेरे भी पंख हैं, जिन्हे फिन कहते हैं और तुम्हारे भी, पर तुम तो उड़ सकते हो, मैं क्यों नहीं उड़ सकती?”
मिठू- प्यारी गोल्डफिश, तुम तैर सकती हो, मैं तैर नहीं सकता, मेरे मन में तो ऐसा विचार कभी नहीं आया. जो हम कर सकते हैं, करते हैं.
गोल्डफिश- उड़ने में बड़ा मज़ा आता होगा न?
मिठू- हमें उड़ने में मज़ा आता है, तुम्हें तैरने में मज़ा आता होगा. बोलो आता है न?
गोल्डफिश- तैरने में मज़ा तो बहुत आता है.
मिठू- तुमने वह कविता सुनी है?
गोल्डफिश- कौन-सी, वही न!
”मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है,
हाथ लगाओ डर जाएगी,
बाहर निकालो मर जाएगी.”
मिठू- अरे! तुम्हें कैसे आती है?
गोल्डफिश- बहुत-से बच्चे आते हैं न मुझे देखने, उनसे ही कई बार सुनी है.
मिठू- ठीक कहते हैं?
गोल्डफिश- ठीक कहां कहते हैं? वे कहते हैं- ‘हाथ लगाओ डर जाएगी’. भला ये भी कोई बात हुई! मैं डरती थोड़े ही हूं, वो तो हाथ लगाने से गुदगुदी होती है, इसलिए खुश होकर भाग जाती हूं. हां, ‘बाहर निकालो मर जाएगी.’ वाली बात बिलकुल सही है. देखो न! आज ही मेरी एक सहेली का ऑपरेशन पानी के अंदर ही हुआ. छोटी-सी रिपोर्ट सुन लो-

”पानी के अंदर हुआ मछली के ट्यूमर का ऑपरेशन
एक गोल्डफिश के फिन (पंख) में ट्यूमर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया. खास बात यह रही कि यह सर्जरी पानी के भीतर ही की गई, जिसके बाद अब मछली ने धीरे-धीरे तैरना शुरू कर दिया है. डॉक्टर ने बताया कि 17 साल के करियर में यह उनके लिए पहली सर्जरी थी, जो कि काफी जटिल भी थी. पानी से बाहर तो उसका ऑपरेशन होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था.”

गोल्डफिश- तुमने वह कविता सुनी है?
मिठू- कौन-सी, वही न!
”तोता दिन भर जपता नाम,
रघुपति राघव राजा राम,
आगंतुक को करे सलाम,
पपीता संग खाता आम.”
गोल्डफिश- तो तुम्हें भी यह कविता याद हो गई!
मिठू- हां गोल्डी, मैंने भी कई बार सुनी है.
गोल्डफिश- तुम सच में सारा दिन ‘रघुपति राघव राजा राम; जपते रहते हो?
मिठू- मैंने कई बार सुना है- ”हाथ में काम, मुख में राम.” उड़ते-बैठते-खाते-पीते जाप चलता रहता है.
गोल्डफिश- यह तो बहुत अच्छा है. मैं भी तैरते-खाते-पीते राम-राम जपा करूंगी.
मिठू- अच्छा गोल्डी, अब मैं चलता हूं, फिर मिलेंगे. तब तक के लिए राम-राम.
गोल्डफिश- राम-राम भाई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244