मुक्तक
जो ख़्वाबों में दिखती थी वो बस्ती नहीं दिखी.
टेंशन भरी ज़िन्दगी पल भर हँसती नहीं दिखी.
कहने को तो दुनिया भर की मस्ती है लेकिन,
इस बस्ती में हमको मन की मस्ती नहीं दिखी.
— डॉ.कमलेश द्विवेदी
जो ख़्वाबों में दिखती थी वो बस्ती नहीं दिखी.
टेंशन भरी ज़िन्दगी पल भर हँसती नहीं दिखी.
कहने को तो दुनिया भर की मस्ती है लेकिन,
इस बस्ती में हमको मन की मस्ती नहीं दिखी.
— डॉ.कमलेश द्विवेदी