फिर आया नववर्ष
फिर आया नववर्ष
भूल जाओ जो बीता.
धूल झाड़ के ख्वाबों को
बाहों में भर लो.
हरे-भरे बागानों को
राहों में कर लो.
काँटों को भी साथ रखो
अभिमान न आए,
राख हटा अंगारों को
दामन में भर लो.
रुका कहाँ है समय
चलता रहा जो जीता.
फिर अवसर आएगा ढूँढो
ये अथाह है.
इतिहास सदैैव हैं बनते
समय गवाह है.
बुद्धिमान मानव हैं पर
बुद्ध हैं कितने,
साहिल कभी नहीं मरते
तूफ़ान गवाह है.
बना वही कर्मण्य
पढ़ता रहा जो गीता.
छोटी-छोटी खुशियों के
पल-छिन मत छोड़ो.
छोटी-छोटी बातों पे अब
मुँह मत मोड़ो.
कब कोई इक राह
बना जाएगी दुनियाँ,
छोटी-छोटी पगडँडियों पर
हाथ न छोड़ो
बना मसीहा सबके
दर्द रहा जो पीता.