लघुकथा

करनी

आज फिर सोमेश देर रात शराब पीकर लौटा. सोमेश का चाल चलन बिगड़ गया था. अपने बीवी बच्चों के प्रति वह लापरवाह हो गया था.
यह सब देख कर माथुरजी बहुत दुखी होते थे. कई बार उनकी बहू ने उनसे कहा कि अपने बेटे को समझाएं. लेकिन वह यह नही कर पाते थे. उन्हें अपना अतीत याद आ जाता था. यह उनके बोए बीज ही थे जो अंकुरित हो रहे थे.

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है