कविता

शिव भोलेनाथ

वे देवों के महादेव हैं
भक्तों के हृदय में बसते सदैव हैं ।
शम्भू मन से बड़े ही भोले हैं
उनके क्रोध से जग ये डोले है ।
रहते वे हर कंकर में
कहलाते भी शिव-शंकर हैं ।
शोभे चंद्र बनके ताज सिर पे
गले में सर्प की माला है ।
गंगा जिनकी जट्टा में बसती
पीते वे भंग प्याला हैं ।
सारी दुनिया जिनकी प्रेम दिवानी
अर्द्धांगिनी है उनकी मां काली-भवानी ।
सुर-असुर सभी उन्हे चाहे हैं
पर भक्त ही शिव को पावै हैं ।
पापीयों के लिए वे काल हैं
भोले कहलाते तभी महाकाल हैं ।

मुकेश सिंह
सिलापथार,असम
मो०-09706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl