कविता

अहतियात

हर कदम यंहा रखना अहतियात से,
हर डगर यहाँ की काँटों भरी है,
नेकी भी यहाँ करना तो ज़रा संभल के,
जलने वालों की यहाँ भीड़ बड़ी है ,
सजना संवरना भी यहाँ देख भाल के ,
देखने वालों की बुरी नज़र पीछे पड़ी है,
जुर्म भी करना तो ज़रा छिप छिप के,
हर ख़ुफ़िया निगाह तुम पर ही गढ़ी है,
हाँ, खुदा को याद करना भी तो अहतियात से,
तेरे जुर्मो की फेहरिस्त भी तो बहुत बड़ी है,
— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845