गीतिका/ग़ज़ल

तरही ग़ज़ल !

सफ़र को छोड़ कश्ती से उतर जा।
किसी के नाम खुशियां अपार कर जा।

नहीं मोहताज हुनर किसी मुकाम का,
हुनर से अपने रोशनी सा बिखर जा।

मंज़िल को पाने की गर चाह है पक्की,
मुश्किल राह से भी फिर तू गुज़र जा।

सरहदों पर नहीं कोई भी समझोता मंजूर,
पांव जमा अंगद सा फिर हो निडर जा।

मुमकिन नहीं हर फैसला हक में हो अपने,
हर दौर में मुस्कुरा के वक्त सा गुज़र जा।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |