स्त्री माँ के रूप में
शास्त्रों में कहा गया है कि
स्त्री माँ के रूप में गुरु होती है,
स्त्री की उपमा माँ, बहन और पत्नी भी होती है
माँ से बड़ा इस दुनिया में भगवान भी नहीं है
बंगले, गाड़ी और एश की दुनिया में,
माँ से बड़ा कोई सम्मान नहीं है
खूब कमा लो नाम और दौलत
चाँद तारे भी भले ही छु लो तुम
दिन दौगूने रात चौगुनी
चाहे कितने ही फूलो तुम
बिना दुआओ से जननी की
ये सब तो आसान नहीं है
माँ अनंत से अनंत सा आगे
उस से बड़ी पहचान नहीं
चेहरे से वो रोग समझ ले
आंखो से मन की बातें
एक तुम्हारी खा शी पर
जाने वो कितनी रातें जग रही
भेज दिया उसे वरूढ़ढाश्रम में
इससे बड़ा अपमान नहीं है
तू क्या साबित करेगा? सज्जन
माँ की असीम क्रूपा ओ को
केसे जान पाएगा तुम माँ की
अनगिनत क्रूपा ओ को?
— डॉ गुलाब चंद पटेल