कविता

आस बंधाती याद तेरी।

आस बंधाती याद तेरी
मन जब डगमगाने लगा
तिमिर सा जब छाने लगा
फिर किरण बन गई मेरी
आस बंधाती याद तेरी।

तुम सब कुछ समझते हो
जब भी मुझसे मिलते हो
हर मुश्किल होती दूर मेरी
फिर आस बंधाती याद तेरी।

ग़म कुछ न कर पाएंगे
बस आकर चले जाएंगे
मुस्कान सदैव रहेगी मेरी
ये आस बंधाती याद तेरी।

ख्वाबों को न खोने देना
ख्वाहिशों को थाम लेना
मंजिल इक दिन होगी मेरी
यही आस बंधाती याद तेरी।

विश्वास से पथ पर बड़ना है
किसी बाधा से न डरना है
नियति भी साथ होगी मेरी
यही आस बंधाती याद तेरी।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |