कंटोलवाले भी ‘किरासन’ पी गए
तो इधर….. कंटोल (जनवितरण प्रणाली की दुकान) में किरासन (मिट्टी तेल) है गायब….. जब दुकानदार ही हो जाय ‘नेता’, तब सब माल अपन बाप के गोदाम का ! इस काम में चट्टी-बट्टी सब मिले हैं ! ऐसे में गुरु महाराज की याद आती है ! पर गुरु महाराज भी क्या करे, वे चट्टन-बट्टन भी तो उनके रसिकदार हैं।
12 घंटे से बिजली गायब, कंटोलवाले भी ‘किरासन’ पी गए !
सरकारी अस्पताल हेतु सरकार की जिम्मेवारी है, पर कोई मरीज प्राइवेट अस्पताल में मरते हैं, तो अस्पताली बिल माफ हो व कारक को सजा हो ही ! सरकार कोई भी हो, वो तो सरकार है, उनके पास बाप का माल है और सभी उनके बाप का साला है, ऐसे में ए. आर. रहमान याद आ जाते हैं, यह कहने को कि ‘जय हो’ !
गुलजार के गीत हैं, इसे संगीतबद्ध किये हैं ए. आर. रहमान ने, जिसे फ़िल्म ‘स्लमडॉग मिलिनियर’ में सजाया गया है और पसंद करने वाले हैं आप सब यानी गीतों की फरमाईश किए हैं-
खच्चरटोली से मिस्टर खच्चर कुमार,
बेवफ़ाई टोले से मिसेज सनम बेवफ़ा,
अँगड़ाईनगर से है अठन्नी कुमार चवनियाछाप और उनकी प्रेमिका;
तो सुनिए आल इंडिया सेडियो से आपके पसंदीदा गाना…. जय हो, जय हो, भय हो, क्षय हो…. सत्यानाश, मुँहझौसा, कुत्ते, कमीने…. इसी के साथ मनभावन कार्यक्रम समाप्त होता है, प्यार कुमार करेले को दीजिए इज़ाज़त ! नमस्कार।