संकल्प
अंकित के पिता का शरीर शांतिपूर्वक शांत हो गया था. हंसते-मुस्कुराते हुए जीवन जी का जीवन यकायक निष्प्राण-निष्चेष्ट हो गया. बचपन से ही वे देश के लिए कुछ करना चाहते थे, उसकी शान पर मर-मिटना चाह रहे थे. जाति-पाति का भेदभाव भुलाकर तिरंगे को थामकर चलना चाहते थे. पर ऐसा हो न सका!
अंकित के मन पर पिताजी की एक-एक बात अंकित थी. वे सेना में जाना चाहते थे. शरीर पर अंकित टैटू के कारण वे शारीरिक जांच में सेना में भर्ती होने के अयोग्य घोषित किए गए.
बचपन में ही एक मित्र के उकसाने पर वे एक मेले से टैटू बनवाकर आए थे. बहुत खुश होकर उन्होंने अपने पिताजी को दिखाया था, पर उन्हें क्या पता था, कि यही टैटू उनका सबसे बड़ा दुश्मन बन जाएगा.
वे रक्तदान करना चाहते थे, अफसोस कि वे रक्तदान भी नहीं कर पाए. निगोड़े टैटू की उपस्थिति ने यहां भी रोड़ा अटका दिया था.
पर देश की सेवा तो करनी ही है. पता चला कि मृत्यु के बाद वे अंगदान कर सकते हैं. जीवन जी ने जीवन रहते ही अंगदान का फॉर्म भर दिया था और घर में सबको उससे अवगत भी करवा दिया था. अंकित ने तुरंत पास के अस्पताल से संपर्क साधा और समय रहते उनका अंगदान किया जा सका.
पिता के क्रियाकर्म के दौरान ही उन्होंने सबको अपने सपनों के जानी दुश्मन टैटू से दूरी रखने और यथासंभव रक्तदान और अंगदान करने का अनुरोध किया.
”पढ़ाई पूरी होने पर हम भी तुम्हारे साथ तिरंगे का मान बचाने के लिए सेना में भर्ती होने के लिए तैयार हैं.” उसके अनेक मित्रों ने संकल्प लिया.
‘विश्व अंगदान दिवस’
13 अगस्त, 2020
13 अगस्त को विश्व अंग दान दिवस होता है. इस दिन मुख्य रूप से लोगों को जीवन बचाने के लिए मृत्यु के बाद अपने स्वस्थ और कीमती अंगों को दान करने के लिए प्रेरित करना है.