कवितागीत/नवगीतपद्य साहित्य

चरैवेति सृष्टि की चाल है

ऊपर वह ही चढ़ पाता है, समय-समय जो झुकता है।
चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

खुद ही बन लो, नहीं बनाओ।
स्वयं ही समझो, ना समझाओ।
लेना नहीं,  देना चाहे  बस,
व्यर्थ की सीख, न उसे सिखाओ।
समय सदुपयोग, पल पल कर, यह ही जीवन मुक्ता है।
चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

कोई भी, स्थाई मित्र नहीं है।
रंग न उड़े, कोई चित्र नहीं है।
मरना सबको, सब नश्वर हैं,
लालच, धोखा विचित्र नहीं है।
उचित समय पर, सब छूटेगा, भले ही कितना युक्ता है।
चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

साथ आज जो, वही मित्र है।
प्रेम ही जीवन, प्रेम  इत्र है।
सब कुछ अपना, ना है पराया,
षड्यंत्र फिर भी, कितना विचित्र है?
समय चक्र, कभी न रुकता, व्यवस्था बनी ये पुख्ता है।
चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)