पर्यावरण

प्रकृति संरक्षण: हमारे समाधान प्रकृति में हैं

प्रकृति में कई प्रकार की प्रजातियां एक पारिस्थितिकी तंत्र में कार्य करती हैं। प्रत्येक जीव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ-साथ पर्यावरण के विभिन्न अन्य जीवों के लिए भी कुछ उपयोगी योगदान देता है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नींव है।

प्रजातियां ऊर्जा भंडारण और उपयोग करती हैं, कार्बनिक पदार्थों का उत्पादन और विघटन करती हैं, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में पानी और पोषक तत्वों के चक्र का हिस्सा हैं, वातावरण में गैसों को ठीक करती हैं और जलवायु को विनियमित करने में भी मदद करती हैं। इस प्रकार, वे मिट्टी के निर्माण, प्रदूषण को कम करने, भूमि, जल और वायु संसाधनों की सुरक्षा में मदद करते हैं। जैव विविधता के ये कार्य पारिस्थितिक तंत्र के कार्यों और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

विभिन्न पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव जो जैव विविधता का निर्माण करते हैं, हमें अनाज, मछली आदि जैसे खाद्य पदार्थ प्रदान करते हैं, हमारे कपड़ों के लिए फाइबर जैसे कपास, ऊन आदि, जीवित रहने के लिए ईंधन लकड़ी के साथ-साथ नीम जैसे दवा उत्पाद भी प्रदान करते हैं।  जैव विविधता स्थानीय और साथ ही वैश्विक जलवायु को नियंत्रित करती है, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों के वैश्विक स्तर का प्रबंधन करती है, मीठे पानी की गुणवत्ता बनाए रखती है, कार्बन सिंक आदि के रूप में कार्य करके कार्बन को अवशोषित करती है। इस प्रकार जैव विविधता जीवन और जीवन को  नियंत्रित करती है।

जैव विविधता परागण, पोषक तत्वों के चक्रण के साथ-साथ पुनर्चक्रण, ग्रीनहाउस गैस को कम करने में मदद करती है। जैव विविधता हमें सौंदर्य सुख प्रदान करती है। समृद्ध जैविक विविधता पर्यटन को प्रोत्साहित करती है। कई समुदायों और संस्कृतियों ने जैविक रूप से विविध वातावरण द्वारा प्रदान किए गए परिवेश और संसाधनों के साथ सह-विकसित किया है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका भी निभाता है। जैव विविधता द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण सेवाएं हैं: मनोरंजन और विश्राम, पर्यटन विशेष रूप से पारिस्थितिकी पर्यटन, कला, डिजाइन और प्रेरणा आध्यात्मिक अनुभव।

जैव विविधता खाद्य जाल को बनाए रखने में मदद करती है। इसलिए, प्रत्येक प्रजाति के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है। इसके परिणामस्वरूप अधिक स्थिर खाद्य श्रृंखलाएं और खाद्य जाले बनते हैं। जैव विविधता वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और निगरानी में मदद करती है। जैव विविधता, इस प्रकार, जीवन के कामकाज और भूमिका को समझने में मदद करती है जो प्रत्येक प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में निभाती है जिसमें हम मनुष्य भी एक हिस्सा हैं।

विशेष रूप से, प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का फसल भूमि में परिवर्तन, रेल और सड़क मार्ग जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विकास, शहरीकरण और खनन गतिविधियों में वृद्धि से जीवों के निवास स्थान का नुकसान और विखंडन भूमि उपयोग के परिवर्तन के माध्यम से हुआ है। लिविंग प्लैनेट की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 40 वर्षों में लगभग 50% उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय वन और 45% समशीतोष्ण घास के मैदानों को मानव उपयोग के लिए परिवर्तित कर दिया गया है। कुछ नुकसान के अलावा, प्रदूषण से कई आवासों का क्षरण भी कई प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डालता है।

अधिक शिकार या प्रजातियों का अवैध शिकार, पौधों के उत्पादों की अधिकता और अधिक कटाई से जैव विविधता में तेजी से गिरावट आ सकती है। मानव के बदलते उपभोग पैटर्न को अक्सर प्राकृतिक संसाधनों के इस सतत दोहन के प्रमुख कारण के रूप में उद्धृत किया जाता है। कई प्रजातियां जो पिछली 5 शताब्दियों में विलुप्त हो गई, जैसे स्टेलर की समुद्री गाय, यात्री कबूतर, मनुष्यों द्वारा अति-शोषण के अधीन थीं। इसी तरह प्लास्टिक प्रदूषण से जानवरों की मौत होती है। साथ ही, उद्योगों और वाहनों से वायु प्रदूषण के कारण शहरी क्षेत्रों में कई पक्षी प्रजातियों की मृत्यु हुई है।

वन्य जीवन, पौधे और पशु संसाधनों और क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के पारंपरिक जीवन के संरक्षण के लिए संरक्षित भूमि के बड़े क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव अभ्यारण्य हो सकते हैं। भारत के आदिवासियों ने वनों की जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आदिवासियों ने पवित्र उपवनों में वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण किया है। अन्यथा, ये वनस्पति और जीव प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र से गायब हो गए होते। सरकार को क्षेत्र में अपनी एजेंसियों और इन वनों पर निर्भर लोगों के बीच विश्वास पैदा करने का प्रयास करना चाहिए, उन्हें देश में हर किसी की तरह समान नागरिक माना जाना चाहिए।

आज की वैश्वीकृत दुनिया में वन्य जीवन और प्रकृति के संरक्षण ने अधिक महत्व ग्रहण कर लिया है।  दूसरों के जीवन की देखभाल और प्रकृति के लिए सहानुभूति हमें मानसिक रूप से हमारी प्रकृति के साथ जोड़ सकती है जो हमें उपभोग के लालच से छुटकारा दिला सकती है जिसने हमारे पर्यावरण को नष्ट कर दिया है।  विकसित राष्ट्र इस बात से अवगत हैं कि उनका विकास प्रकृति या अन्य विकासशील देशों की कीमत पर नहीं हो सकता है। संरक्षण पर सार्वजनिक करुणा को बढ़ावा देने से इन प्रयासों में मजबूत तालमेल हो सकता है।

पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों में हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, ईंधन, पौधे और जानवर शामिल हैं। इन संसाधनों की देखभाल करना और इनका सीमित उपयोग करना ही प्रकृति का संरक्षण है ताकि सभी जीवित चीजें भविष्य में उनके द्वारा लाभान्वित हो सकें। प्राकृतिक, संसाधन और पर्यावरण हमारे जीवन और अस्तित्व का आधार हैं। प्रकृति है तो जीवन है, जीवन है तो मानव है, मानव है तो मानवता है। प्रकृति संरक्षण सबसे बड़ा पुण्य का काम है। हम बड़े भाग्यशाली हैं कि हमारा संबंध ब्रह्मांड के उस सबसे अनोखे ग्रह से है जिस पर जीवन है।

लेकिन हमारी जीवनशैली के कारण केवल मानव ही नहीं बल्कि सभी जीवों के अस्तित्व पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। हम ये भी कह सकते हैं कि हमारे इस सबसे अनोखे ग्रह पर जीवन के अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया। विश्व प्रकृति दिवस पर आइये हम मिलकर संकल्प लें कि प्रकृति संरक्षण ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। लेकिन ये कानून की बाध्यता से संभव नहीं है ये हमारे और आपके सामूहिक प्रयास से ही संभव हो सकेगा।

—  सत्यवान ‘सौरभ’

डॉ. सत्यवान सौरभ

✍ सत्यवान सौरभ, जन्म वर्ष- 1989 सम्प्रति: वेटरनरी इंस्पेक्टर, हरियाणा सरकार ईमेल: [email protected] सम्पर्क: परी वाटिका, कौशल्या भवन , बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148,01255281381 *अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओँ में समान्तर लेखन....जन्म वर्ष- 1989 प्रकाशित पुस्तकें: यादें 2005 काव्य संग्रह ( मात्र 16 साल की उम्र में कक्षा 11th में पढ़ते हुए लिखा ), तितली है खामोश दोहा संग्रह प्रकाशनाधीन प्रकाशन- देश-विदेश की एक हज़ार से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशन ! प्रसारण: आकाशवाणी हिसार, रोहतक एवं कुरुक्षेत्र से , दूरदर्शन हिसार, चंडीगढ़ एवं जनता टीवी हरियाणा से समय-समय पर संपादन: प्रयास पाक्षिक सम्मान/ अवार्ड: 1 सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन पुरस्कार हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी 2004 2 हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड काव्य प्रतियोगिता प्रोत्साहन पुरस्कार 2005 3 अखिल भारतीय प्रजापति सभा पुरस्कार नागौर राजस्थान 2006 4 प्रेरणा पुरस्कार हिसार हरियाणा 2006 5 साहित्य साधक इलाहाबाद उत्तर प्रदेश 2007 6 राष्ट्र भाषा रत्न कप्तानगंज उत्तरप्रदेश 2008 7 अखिल भारतीय साहित्य परिषद पुरस्कार भिवानी हरियाणा 2015 8 आईपीएस मनुमुक्त मानव पुरस्कार 2019 9 इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड रिव्यु में शोध आलेख प्रकाशित, डॉ कुसुम जैन ने सौरभ के लिखे ग्राम्य संस्कृति के आलेखों को बनाया आधार 2020 10 पिछले 20 सालों से सामाजिक कार्यों और जागरूकता से जुडी कई संस्थाओं और संगठनों में अलग-अलग पदों पर सेवा रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 9466526148 (वार्ता) (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) 333,Pari Vatika, Kaushalya Bhawan, Barwa, Hisar-Bhiwani (Haryana)-127045 Contact- 9466526148, 01255281381 facebook - https://www.facebook.com/saty.verma333 twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh