कांटों बिन जीना क्या जीना!
हम सुमनों की अजब कहानी,
क्षणभंगुर है अपनी जवानी।
भंवरे खुशबू ले जाते हैं,
पत्ते झड़ें जब गिरता पानी॥
कांटों में रहकर लगता है,
अपने घर में रहते हैं।
कांटों बिन जीना क्या जीना!
अपने आपसे कहते हैं॥
हम सुमनों की अजब कहानी,
क्षणभंगुर है अपनी जवानी।
भंवरे खुशबू ले जाते हैं,
पत्ते झड़ें जब गिरता पानी॥
कांटों में रहकर लगता है,
अपने घर में रहते हैं।
कांटों बिन जीना क्या जीना!
अपने आपसे कहते हैं॥