कविता

मैं भ्रष्टाचार हूं

मैं भ्रष्टाचार हूं
जी हां, मैं भ्रष्टाचार हूं
बार-बार कहता हूं- मैं भ्रष्टाचार हूं
खम ठोककर कहता हूं- मैं भ्रष्टाचार हूं.

नोएडा का ट्विन टावर क्या गिराया
तुम कहते हो
“भ्रष्टाचार की इमारत गिर गई
भ्रष्टाचार गिर गया”
इतनी आसानी से
मैं गिरने वाला नहीं हूं
इतना उथला मुझे मत समझो
मेरी जड़ें बहुत गहरी हैं!

“मुझे पनपाया किसने?
तुम्हारा अगला सवाल होगा.”
मुझे पनपाने वाले आप ही हैं
तुमने ही इसे अपने डीएनए में
शामिल करवाया है
असकी शुरुआत
तुम बचपन से ही कर देते हो
घर-परिवार में
जब बच्चे
कोई काम करने से मना कर दें
तो उसे टॉफी-चॉकलेट-मिठाई का
लालच दिया जाता है
कभी-कभी पैसों का
लालच दिया जाता है
यह आना-पाई से लेकर
पैसों तक
और फिर चंद रुपयों तक
फिर लाखों-करोड़ों तक
जा पहुंचता है
फिर बच्चों में बचे हुए पैसे
अपनी जेब में रखने की
आदत पड़ जाती है
जब यही बच्चे बड़े होकर
नौकरी करने लगते हैं
तो आदत बनी रहती है
यही आदत लालच बन जाती है
और लालच से जन्म होता है
सुविधा शुल्क के नाम से
रिश्वतखोरी-घूसखोरी का
किसी ऑफिस में काम कराना हो
रिश्वत दे दो काम करा लो
पंक्ति तोड़कर जल्दी आगे आना हो
घूस दो जल्दी निपट लो
टेंडर पास करवाना हो
रिश्वत के रास्ते से आओ
टेंडर पास करवा लो
अवैध जमीन लेनी हो
रिश्वत को हाजिर-नाज़िर कर दो
अवैध निर्माण करना हो
घूस की सहायता लो
फाइल खिसकवानी हो
घूस के पहिए लगा दो
न्याय में सेंध लगानी हो
लोगों की सेहत से खेलना हो
कोई भी हानिकारक काम करना हो
घटिया माल लगाना हो
प्रशासन का मुंह बंद करवाना हो
हर मर्ज का एक इलाज है- घूस.

हद तो तब पार हो जाती है
जब जेल में बंद कैदी के
पेट में 5 मोबाइल मिलते हैं
एक की नाक के अंदर से
ड्रग की पुड़िया मिलती है
दूसरे के नाक में मिलता है
छिपाया हुआ सर्जिकल ब्लेड.

सुपारी भी मेरा ही एक और रूप है
लाखों-करोड़ों की सुपारी दो
हत्या क्या कोई भी
हैवानी काम करा लो.

मैंने कहा न!
मेरी जड़ें बहुत गहरी हैं
वास्तविकता तो यह भी है कि
मुझे खुद भी पूरा पता नहीं कि
मेरी जड़ें कितनी गहरी हैं!
आपको पता हो तो बताइएगा
बताने में मत शर्माइएगा
मेरा परिचय तो आप जानते ही हैं-
मैं भ्रष्टाचार हूं
यही मेरी पहचान है और पता भी
तब तक खुदा हाफ़िज़
मैं भ्रष्टाचार हूं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244