गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

इस वृहद संसार में छोटा सा एक संसार हो
सुंदर कल्पना सा जिसमें समाहित प्यार हो
बस एक ही अरज तुमसे है प्रियवर सुनो न
प्रेम से परिपूर्ण अपना यह जगत असार हो
आठों याम बावरा ये मन चाहे भला क्या!
तुम हो, तुम्हारा साथ हो, कोई न रार हो
स्वर्णिम किरणों से यामिनी की लहरों तक
जीवन नौका संग तुम्हारे मिल कर पार हो
सदा सुगन्धित स्वप्नों का उपवन हो हराभरा
अधरों के स्पंदन पर “गीत” का उपहार हो
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी