तेरा जवाब नहीं!
जज़्बे वालों का, हिम्मत वालों का भी कोई जवाब नहीं होता. गौतम की जिंदगी में तब तूफान आ गया, जब वह एक सड़क हादसे का शिकार हो गए. कमर के नीचे के पूरे हिस्से में लकवा मार गया. वे 3 साल तक बेड पर रहे, इसके बाद उन्होंने वह कर दिखाया, जो निराशा दूर करने के लिए प्रेरणा बन गया. लकवाग्रस्त होने के बावजूद गौतम ने मन में कभी नेगेटिव सोच नहीं आने दी. वह अपनी क्षमता का इस्तेमाल करना चाहते थे. उन्होंने किसी खेल से जुड़ने का फैसला कर लिया. उन्होंने तीरंदाजी को चुन लिया. वे सुबह तीन घंटे और शाम को दो घंटे की प्रैक्टिस करने के साथ एक घंटे मेडिटेशन और व्यायाम पर भी जुट गए. हैदराबाद में हुई नैशनल पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में गौतम ने पहले दिन ब्रॉन्ज, दूसरे दिन सिल्वर मेडल जीत लिया. उनकी इस सफलता ने ही हमें यह कहने को प्रेरित किया-
“साहस वाले तेरा जवाब नहीं कोई तुझ-सा नहीं हज़ारों में!”
— लीला तिवानी