गज़ल
तू बहुत दूर है ये सच होगा
मेरे दिल के बहुत करीब है तू
तेरे दिल मे मेरी जगाँ हो ना हो
मेरी दुनिया मेरा नसीब है तू
तूने दौलत बहुत कमाई मगर
माफ करना बडा गरीब है तू
गलत किया तूझे कासीद बनाया मैने
दोस्त समझा मगर रकीब हे
मेरी दुनिया हैखेत सुख दुख का
खुशियाँ नापुँ वही जरीब है तू
— महेश शर्मा