कविता

मन में जीत का विश्वास

वीरों की वीरता का प्रतीक है विजय दिवस,
पाक की करारी हार का सूचक है विजय दिवस,
93,000 पाक-सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया,
साहस-संबल-संकल्प का संकेतक है विजय दिवस।
विजय के लिए चाहिए वीरता-संबल-साहस-कुर्बानी,
खतरा मोल लेने का जुनूनी जज़्बा, नए-नए प्रयास,
कड़ा अनुशासन, सुनियोजित संगठन, निर्भयता,
जान की बाजी लगाकर भी मन में जीत का विश्वास।
सुदृढ़ संकल्प का है विजय से चोली-दामन का साथ,
सब मिलकर साथ चलें, थामे एक-दूजे का हाथ-में-हाथ,
बाधाएं-विपदाएं रोकेंगी राह, संकट के कंटक भी चुभेंगे,
मन कहे सफलता पाकर ही रहेंगे, देंगे दुश्मन को मात।
कारगिल युद्ध में ऐसा ही हुआ, तभी हैं विजय दिवस मनाते,
जोश भरने-हेतु जवानों-सैनिकों को विजय की याद दिलाते,
जवानों-सैनिकों में भी साहस का जज़्बा अंकुरित करना है,
सारा देश है आपके साथ, अपने रक्षकों में विश्वास दिखाते।
(16 दिसंबर “विजय दिवस” विशेष)

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244