कहानी

वास्तविक दोष

नमस्ते, आंटी जी…कैसी हो नीतिका …सब्जी की रेहड़ी पर मोहल्ले की सभी औरतें इकट्ठा हो जाती और सब्जी लेने के बहाने आपस में आसपास की चर्चा लेकर बैठ जाती। उनकी चर्चा देख, नीतिका ने फटाफट सब्जी ली और जल्दी से वहां से निकलने की कोशिश की । अब …यह पता नहीं …किसकी चर्चा लेकर बैठ जाएगी और सब की बातें करने लगेगी। नीतिका मन ही मन सोच रही थी । जी दीदी, आप क्या लोगे …सब्जी वाले ने नीतिका को कहा- भैया बैंगन दे दो । निर्मला आंटी बीच में बोल पड़ी । अरे …अरे बहन सुना क्या…बैंगन नहीं खाने चाहिए एकादशी को अगर कोई बैंगन खा ले और कहीं वह मर जाए तो वह सीधा नर्क में जाता है । नीतिका उनकी बातें सुन रही थी और उसने बड़ी हैरानी से देखा इससे पहले की किसी और सब्जी पर टिका- टिप्पणी हो उसने फटाफट भैया को पैसे दे कर सब्जी ली और निकल पड़ी ।
लिफाफे को संभालते हुए अभी वह चल रही थी। एक और आंटी …बोली, हां …हां यह सही कह रही हो । बैंगन को तो बहुत बुरा माना गया है कि श्राद्ध में तो यह खाते ही नहीं है …ना ही खिलते हैं । वरना बहुत पाप लगता है।
नीतिका आज बैगन बनाने की सोच रही थी। सब्जी वाले की रेहड़ी से घर तक सब्जी लाने में …वह बैंगन का लिफाफा उसे ऐसे लग रहा था कि पता नहीं वह आज क्या पाप उठा कर ले आई है। लेकिन अब… सोच रही थी कि बैंगन…बनाऊं या नहीं, सच में बैंगन खाने से पाप लगता है पता नहीं क्या-क्या बातें करते हैं । उसने तो कभी नहीं सुना। एक और आंटी अपने विचार पेश करते हुए बोली… एकादशी को तो बिल्कुल ही नहीं खाते यह सब्जी …कहते हैं यह राक्षसों के खून से पैदा हुई है । सच में, बहन मैं तो खाती नहीं हूं मेरी तो सांस भी हरिद्वार जाकर गंगा जी में त्याग कर आई थी ;कि वह अब कभी नहीं खाएंगी ।
निकिता को सारी बातें सुनकर हंसी भी आ रही थी कि… जो सब्जी पसंद ना हो वही त्याग ले हरिद्वार जाकर। कुछ और नहीं त्याग सकती …अपनी चुगली गोष्टी त्याग आती। निकिता ने किचन में सब्जी रखी और सब्जी को देखती रही एक बेचारे बैंगन के लिए जो किसी को कुछ नहीं कहता… कितनी बातें चली है कि बैंगन खाने से पाप लग जाता है। कहां वो सब्जियों का राजा… और मोहल्ले की औरतों ने मिल कर बजा दिया उस बेचारे बैंगन का बाजा।
नीतिका सोच में पड़ गई आए दिन आसपास हर कोई… हर बात पर कोई ना कोई दोष बताता ही रहता है यह करो तो… वह होगा!!!! वह करो …तो यह होगा???? यह कर दिया तो ऐसा बुरा हो गया है । कभी-कभी उसे समझ नहीं आती कि ऐसा सच में होता है ।
सारा दिन काम करने के बाद जब भी दो घड़ी के लिए फोन लेकर बैठो तो… फोन पर भी कुछ देखने से पहले ही यहीं अंधविश्वास आ जाता है। आपके घर में वास्तु का यह …दोष तो नहीं इस दिशा में बिस्तर करें । इस दिशा में करें …धनवान हो जाएंगे । अपने घर की चीजों की दिशा इधर-उधर करके कुछ अच्छा होने के सपने देखते कि शायद घर में अब सुधार होगा उसकी जिंदगी में सुधार हो जाएगा लेकिन वह सब एक मृगतृष्णा- सा होता है वह वास्तु के आधार पर, कभी उधर लगती कभी घर की चीजें उधर रखती लेकिन उसकी जिंदगी में कोई भी सुधार नहीं हुआ। उसे अपनी सांस और पति की चुभती बातें और खामोशी वालें लुक्स झेलने ही पढ़ते थे जैसे उसने गलती के सिवा कुछ किया ही ना हो ।
वह सोचती कि शायद अपने आसपास के वास्तु को बदलकर वह अपनी जिंदगी में कुछ बदलेगी। शायद उनका रवैया उसके प्रति कुछ बदल जाएगा। इतनी आसानी से इतना करने के बाद भी उनकी नजरों में कभी चढ़ नहीं पाई थी। सारा काम करने के बाद कभी किसी से उसका क्या मन है…जानने की कोशिश नहीं की । बस सब का काम चल रहा था लेकिन उसके अंदर घुटन भर रही थी। वास्तु के आधार पर रखकर, अच्छा होने के लिए सब कुछ करके भी कुछ भी तो नहीं बदलता । लेकिन… वास्तु कैसे दिशा निर्धारित करता है जब धरती घूमती रहती है । कौन -सी दिशा में यह सामान रखना है। इस से क्या फर्क पड़ता है तू भी तो पागलपन करती है।
पता नही …उस की जिंदगी में कितने दोष है। एक फेसबुक वीडियों कहता छत पर दाना डालें, पक्षियों के लिए पानी रखें इस से आप के घर में समृद्धि आयेंगी। ऐसा करती तो .. तो अगले दिन फोन पर आता… कही आप छत पर दाना -पानी तो नही डाल रहे। अगर डाल रहे हैं तो इससे आपके घर में अनर्थ हो सकता है क्योंकि दाना खाने के लिए कबूतर छत पर आएंगे अगर कबूतर छत पर आएंगे तो वह खाते हुए वहां बीट भी कर सकते हैं इसलिए खाने की कोई भी वस्तु छत पर ना फेंकी क्योंकि कबूतर की बीट से हो सकता है… अनर्थ क्योंकि कबूतर को श्राप है कहा जाता है कि जब अग्नि देव और सूर्य देव कार्तिकेय का संरक्षण करने में असमर्थ होकर उसे गंगा नदी के सुपूर्द कर दिया था। तो पार्वती मां ने उनकों श्राप दिया था कि आप कबूतर हो जाओ इसलिए सभी पक्षियों को पूजा जाता है। लेकिन कबूतर को नहीं।
हद है… हर कोई मुंह उठा कर रील के चक्कर में कुछ भी बोल रहा है। फेसबुक पर आने से पहले कहॉं… थे। नीतिका ने सुन तो लिया.. फिर मन में आया। जो बरतन पानी का रखा है उसे उठा दे…अगर कोई कबूतर बीठ कर गया तो… अच्छा नहीं होता। हमारे जीवन में तो पहले से ही अशांति है।
हद है तेरी…मन ही मन खुद को कोसा। बेचारे पक्षियों का क्या दोष । अरे…ऐसा होता तो फिर लोग अमरनाथ गुफा में कबूतर के दर्शन कर खुद को भाग्यशाली क्यों मानते ।
इसी सोच में दरवाज़े की घंटी ने उसे चौंका दिया। नमस्ते आंटी जी, तेरी अम्मा जी घर पर है। जी आंटी… अंदर है। आंटी को अम्मा जी के पास बैठा कर वो पानी लेने चली गई। वापिस आई तो दोनों ग्रहों के दोष को मिटाने के लिए पूजन हवन की बात कर रही थी। उसे देखकर चुप हो गई। नीतिका ने पानी रखा और चाय पूछ कर चली गई। उसके जाने के बाद दोनों फिर शुरू हो गई। बहन जी,रूवी के ससुराल वाले ग्रहों -पूजन को नहीं मानते
इस लिए उसे जहां बुला कर पूजन करवाना है। इस बार रूवी के घर कोई अच्छी चीज आ जाये दो बेटियां हो गई। अब फिर से… सारी तैयारी हो गई है। आप आ जाना कल । ठीक है… पड़ोस में किसी को नहीं कहा फिर बातें होती है… हां सही किया…ऐसी बातों में ज्यादा प्रचार अच्छा नहीं। अम्मा जी ने जबाव दिया।
रात अम्मा जी, पिता जी आपस में बातें कर रहे थे… लेकिन रोटी देने आते- जाते मजाल है इतनी सी बात भी समझ आई हो लेकिन किसी बाबा की बात कर रहे थे… हद है.?इन बाबाओं ने कौन -सा चमत्कार करना है। ठग रहे हैं… इन लोगों को देने के लिए पैसे है। वैसे… कहते रहते हैं पैसे नहीं है।
नीतिका सोच रही थी… अंधविश्वास का कैसा तंत्र फैला है। किसी बाबा से …कोई उपाय करवाने से कुछ नहीं होगा। पर दुनिया को…कौन समझाए। लगे है…एक बाबा छोड़ कर दूसरे बाबा के पीछे।
इन विचारों में गुम वह किचन में काम कर रही थी कि अम्मा जी ने नीतिका को किचन में आकर कहा आज बाबा जी आ रहे हैं। उन को खाना खिलाना है और आशीर्वाद लेना है। कि बहुत पहुंचे हुए बाबा जी हैं जो मन में होता है सब बता देते हैं। सारी बातें उन्हें पहले से ही पता होती हैं… यदि बाबा जी मन की बात और वाकि सारी बातें बता देते हैं तो जब अम्मा जी की चेन गुम गई थी तो सारा घर क्यों खंगाल रही थी …इधर-उधर क्यों देख रही थी । फिर भी नहीं मिली चेन । तब क्यों नहीं बाबा जी से जा कर पूछा की चेन कहां पर है।
इन सारी बातों से अब उसे चिढ़ और ऊब होती थी। किसी बात के लिए लड़ाई हो रही है, कोई काम नहीं बन रहा, लड़की की शादी नहीं हो रही, बहु अच्छी नहीं आई, बच्चा पढ़ नहीं रहा है, बच्चे का मन नहीं लग रहा,बच्चा रो रहा है, लड़कियां है लड़का नहीं हो रही है, बच्चे माता-पिता का सम्मान नहीं करते, रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे, नौकरी नहीं मिल रही, कोई टेस्ट क्लियर नहीं हो रहा हर किसी के लिए एक ही बात दोष लगा है। और दोष के लिए अनगिनत कहानियां और कहानियों के साथ अनगिनत वहम, विश्वास और सब करने के बाद भी… कुछ भी करने से कुछ नहीं होगा… क्योंकि जो सुप्रीम पावर है उसने सबके लिए तय कर दिया है आप सोच सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि आपके करने से कुछ नहीं होगा और दोष और उसकी पहेलियां सिर्फ इस जन्म की नहीं है जन्मों तक उलझी हुई है। निकलना चाह कर भी… आप निकल नहीं पाते। नीतिका फिर से काम में लग गयीं और सोचने लगी है कि शायद बाबा जी को खाना खिला के उसके भी कुछ दोष दूर हो जाए। ।

— प्रीति शर्मा ‘असीम’

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]