धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

शब्दों की शक्ति

शब्दों की शक्ति इतनी अधिक होती है कि उसकी सीमा का हम सही से आँकलन भी नहीं कर सकते है । शब्द मनुष्य के जीवन व्यवहार में सही और संतुलित जीवनचर्या में सहयोगी बनते है ।
शब्द एक ऐसा माध्यम है जो व्यक्ति के भीतर के भावों को बाहर लेकर आता है । भावो से व्यक्ति के चिन्तन का ध्यान व उसकी मानसिकता सामने आती है । इंसान के सद्दविचार में असीम शक्ती होती है जिससे जीवन में ऋजु स्वभाव,मधुर संभाषण निश्छल वृत्ति, अहंकार मुक्ति , संयम-सादगी ,शिष्ट व्यवहार, उच्च विचार , अनाग्रही चिंतन ,बड़ों के सम्मान ,छोटों की वत्सलता आदि आती है ।
बड़ी विचित्र बात है गणित में १ और १ दो होते है पर शब्दों गणित शास्त्र एक और एक को मिलाकर कई गुना कर देता है। जीवन को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के मुख्य घटक है मन एवं विचारों की शुद्धि क्योंकि हमारी वाणी -व्यवहार-आचरण जीवन में अनमोल सौग़ात है,अमुल्य मोती है और इससे जीवन पर सार्थक प्रभाव पड़ता है । शांत व सहज जीवन एवं मज़बूत नींव वाली महाशक्ति सी इमारत बनती हैं । इसलिए विचार करने से पहले यह सजगता हो की जो हम सोच रहे है जो हम कर है वह कहीं अमंगलकारी तो नही है। हमारा हर विचार व वाक्य, सरल, स्पष्ट- बोधगम्य होना चाहिए । सदैव तोल -मोल के बोले, मीठा बोले क्योंकि इंसान का स्वभाव भाषा , शब्दों एवं वाणी द्वारा समझा जाता है और मर्यादित स्वभाव सबको सुहाता है। अतः हमारे शब्द सदा मधुर एवं प्रिय हों और हम अपने दिमाग़ के शब्दकोश से जो अप्रिय शब्द लगें वह सब हटा दें ।

— प्रदीप छाजेड़

प्रदीप छाजेड़

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