गीतिका/ग़ज़ल

किताबों से

जिंदगी के कुछ पन्ने जो रह गए बिन पढ़े,
सीखो लेखन का हर सलीक़ा, किताबों से।

दबी है कुछ कर गुजरने की आग गर सीने में,
जानों कथन का नया तरीका, किताबों से।

गरीबी की मार कराता है दर-दर अपमान
सीखो हुनर से निर्धनता मिटाना, किताबों से।

गैर बराबरी ने उपजे हैं कई समस्या देश में
सीखो बराबरी का दीप जलाना, किताबों से।

मोबाइल की अति बनी अभिशाप मनुष्य की,
बदल दो भटकाव का ये जंजाल, किताबों से।

सोशल मीडिया करता भस्म समय कीमती,
रोको इस भस्मासुर का परचम लहराना, किताबों से

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी ज्ञान कराता अपमान
सीखो तथ्यों से समझाना, किताबों से।

गोदी मीडिया का दुष:प्रचार करता प्रहार
सीखो स्वयं को निरंतर बचाना, किताबों से।

जाति, धर्म, मजहब के नशे में न हों तुम लीन
सीखो अंधभक्ति का ज़हर हटाना, किताबों से।

उच्च नीच की असमानता आज बन बैठा है नासूर
सीखो इस बीमारी को जड़ से मिटाना, किताबों से।

असहमति ने जन्मे हैं हर नए अविष्कार देश में
सीखो नाखुश सुरों को एकसाथ लाना, किताबों से।

मनुष्य की जिज्ञाशा ने बनाया अन्य जीवों से श्रेष्ठ
सीखो मनुष्यता को ऊपर उठाना, किताबों से।

ज्ञान है इक आधार जो बदल दे हर हालात,
करो अर्जित इल्म का खज़ाना, किताबों से।

जागो, पढ़ो, बढ़ो, करो हांसिल हर मंज़िल,
लिखो सफलता का अफसाना, किताबों से।

— प्रदीप चौहान

प्रदीप चौहान

अध्यापक, कवि व सिटीजन जर्नलिस्ट ओखला फेस-2, नई दिल्ली संपर्क: 9899322366