कविता

द्रोपदी पुकार

द्रोपदसुता की लाज बचा लो, आके मुरलीवाले: कहाँ तू सो रहा है।
बीच सभा मे देखो, दुःखिया पुकारे बड़ी देर से:
दौड़ के आजा कान्हा, बहना की एक टेर से :
दुष्टदुशासन खींचे सारी, सारी वही बढ़ा दे ।
कहाँ तू…
चाल चली खल भारी,भीर भरी दरबार मे :
दुष्ट दुर्योधन माने, मान मेरे अपमान मे :
पति हमारे जुए मे हारे, छूटे सभी सहारे।
कहाँ तू..
बहना तुम्हारी श्याम, संकट मे पड़ी आज है :
हे ! गिरधारी तेरे ए , हाथों मे मेरी लाज है :
आन बचाओ लाज हमारी, काटो संकट सारे।कहाँ तू…
होत उघारी बहना, जाएगी तेरी लाज है:
भैया ओ मोहन प्यारे, तू हि मेरा सरताज है :
नरबस नारी विवश विचारी,तुमही एकअधारे। कहाँ तू..
आके समा जा प्रभु जी,सारी के हर तार मे :
दाग न लगने पाए,कृष्णा तेरी सरकार मे:
गणिका,गीध,अजामिल तारे,भक्तों के रखवारे।कहाँ तू…

— डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372