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मीरा बाई: एक भक्ति संत और कवयित्री।

मीरा बाई एक महान भक्ति संत और कवयित्री थीं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने के लिए कई सुंदर कविताएँ और गीत लिखे। उनकी कविताओं में भगवान कृष्ण के प्रति उनका गहरा प्रेम और समर्पण दिखाई देता है, और उनकी भक्ति की गहराई और सच्चाई ने उन्हें एक महान संत और कवयित्री बनाया।
मीरा बाई की कविताएँ और गीत भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति को व्यक्त करते हैं। यहाँ कुछ उनकी प्रसिद्ध कविताएँ और गीत हैं:

  1. “पायल बाजे री धुन” – यह कविता मीरा बाई की सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है, जिसमें उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
  2. “मेरे तो गिरधर गोपाल” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण को अपना पति माना है और उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
  3. “मैं तो सुनी री पुकार” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण की पुकार सुनी है और उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
  4. “चल मीरा तेरी प्यारी” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है और उनके साथ जाने की इच्छा व्यक्त की है।
  5. “मीरा के प्रभु गिरधर नागर” – इस कविता में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण को अपना प्रभु माना है और उनके प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है।

इन कविताओं में, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त किया है, और उनकी कविताएँ आज भी लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को जगाती हैं।
मीरा बाई का जन्म 1498 में मेड़ता में हुआ था, जो वर्तमान में राजस्थान में है। उनके पिता रतन सिंह एक राजा थे, और उनकी माता वीर कुंवर एक रानी थीं। मीरा बाई का विवाह राणा सांगा से हुआ था, लेकिन उनका दिल भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित था, और वे अपने पति को भगवान कृष्ण का रूप मानती थीं।
मीरा बाई की कविताएँ भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और भक्ति को व्यक्त करती हैं, और उनकी कविताओं में संगीत और नृत्य का महत्व भी दिखाई देता है। उनकी कविताओं में भगवान कृष्ण के साथ उनके प्रेम के खेल और उनकी भक्ति की गहराई का वर्णन किया गया है, और उनकी कविताएँ आज भी लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को जगाती हैं।
मीरा बाई की मृत्यु 1547 में हुई थी, लेकिन उनकी कविताएँ और उनकी भक्ति की गहराई आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। वे एक महान संत और कवयित्री थीं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने के लिए कई सुंदर कविताएँ और गीत लिखे, और उनकी कविताएँ आज भी लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को जगाती हैं। मीरा बाई के जीवन में भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षण की शुरुआत उनके बचपन से हुई थी। उनके माता-पिता भगवान कृष्ण के भक्त थे, और वे घर में भगवान कृष्ण की पूजा और भजन करते थे। मीरा बाई को भगवान कृष्ण की कहानियाँ और भजन सुनने को मिलते थे, और वे भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षित हो गईं।

एक कहानी के अनुसार, मीरा बाई को भगवान कृष्ण की मूर्ति देखने को मिली थी, और वे उस मूर्ति के प्रति आकर्षित हो गईं। उन्होंने भगवान कृष्ण को अपना पति मान लिया और उनके प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने लगीं।

मीरा बाई के विवाह के बाद भी, उनका मन भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षित रहा, और वे अपने पति को भगवान कृष्ण का रूप मानती थीं। उनके पति की मृत्यु के बाद, मीरा बाई ने भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को और भी गहराई से व्यक्त करना शुरू किया, और उन्होंने अपने जीवन को भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया।

इस प्रकार, मीरा बाई के जीवन में भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षण की शुरुआत उनके बचपन से हुई थी, और उनका यह आकर्षण उनके जीवन भर बना रहा।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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