कविता

मुश्किल वक्त की मददगार

दीए जलाकर खुशियां बांटने,
हरेक पड़ाव पर,
हमें एक शखिसियत नज़र आतीं हैं।
इसे रब की मेहरबानियां समझें,
या कुछ और,
मां की दुआओं से निकली हुई आवाज ही,
हमेशा सुनाई देती है।

कुछ हासिल करने में,
बड़ा वक्त लगता है।
समन्दर पार करने वाले लोगों को,
इस इल्म का नाम,
मन में बना रहता है।

यही रब की सबसे खूबसूरत उपहार है,
मां की दुआओं से,
सारा संसार गुलजार है।

इस संस्कार में शामिल,
हरेक लम्हे जो अक्सर लोग भूल जाते हैं।
मां की ताक़त से,
मुलाकात हुई तो,
बस हर परेशानियां,
भाग जाते हैं।

जरा आज़मा कर देख तो ले दुनिया,
क्या कोई उम्मीद कर सकेगा कभी यहां।
मां ही मंदिर है,
मां ही शिवाला,
मां ही जन्नत है,
मां ही रखवाली बनकर करती है,
अपने बच्चों की हिफाजत,
नहीं है दुनिया में,
इससे बेहतर रखवाला।

हमदर्द तो दुनिया में,
बनते दिखते हैं लोग यहां।
मुश्किल वक्त में,
ग़ायब हो जाते हैं,
कौन सामने आते हैं क्या भला तब,
साथ देने को वहां।

उम्मीद और सपने को साकार करने में,
मां ही एक मात्र,
सहारा है।
खुशियां अपार देती है,
जीवन्त रूप में,
सबके सामने खड़ी,
एक उम्दा नजारा है।
उम्मीद है,
सपनों को पंख देने वाली,
ताक़त है।
हमेशा याद रखना चाहिए,
यही वजह है कि सब लोग कहते हैं,
मां ही मंदिर है,
मां ही इबादत है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]

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