गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जब क़लम उठाते हैं
बस लिखते जाते हैं

जो चाहता हो हमको
उसमें ही समाते हैं

करते हैं सृजन ऐसा
जगती को जगाते हैं

क्या कुछ न बना पाएँ
हम प्रेम बनाते हैं

धुन अपने हृदय वाली
प्रतिक्षण ही रचाते हैं

पीड़ा के बिछौने पर
हम “गीत” सजाते हैं

— गीत

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी

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