कुण्डलिया छंद
सूरज किरणें सुनहरी, चेतन दिव्य प्रकाश।
खिले पुष्प सुरभित धरा, हर्षित हैं आकाश।।
हर्षित है आकाश, प्रेम रस मधुमय धारा।
छितराता आनंद, बोल मीठे सुखकारा।।
हाथों में हो हाथ, साथ हो संयम, धीरज।
मिलते आशीर्वाद, ओज मन भरता सूरज।।
सूरज किरणें सुनहरी, चेतन दिव्य प्रकाश।
खिले पुष्प सुरभित धरा, हर्षित हैं आकाश।।
हर्षित है आकाश, प्रेम रस मधुमय धारा।
छितराता आनंद, बोल मीठे सुखकारा।।
हाथों में हो हाथ, साथ हो संयम, धीरज।
मिलते आशीर्वाद, ओज मन भरता सूरज।।